Nursing College in Indore। मप्र में कुकुरमुत्तों की तरह फैले 600 से अधिक ये नर्सिंग कॉलेज नियम विरुद्ध कैसे खुल गए और इनमें प्रवेश कैसे हो गए? और समझने की बात है यह कि फर्जीवाड़ा क्यों और कैसे हो गया? जवाबदार सिर्फ नर्सिंग कॉलेज संचालक है? या इसमें प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से लेकर, लोकल स्तर पर 20 बिस्तरों के अस्पताल को 100 बिस्तरों का अस्पताल बनाने वाले मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी? या बात की जाए मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल की जिनके इंस्पेक्टर मार्गदर्शिका होने के बावजूद आंख बंद कर निरीक्षण करते समय गाइडलाइन को ना देखते हुए हरे हरे नोटों की गड्डियों को देखते हैं और पॉजिटिव रिपोर्ट प्रशासन को भेज देते हैं। प्रशासन भी सब जानबूझकर फाइल को लाभ शुभ करके मान्यता जारी कर देता है।
छात्र क्यों है दोषी ?
प्राइवेट हॉस्पिटल में नौकरी कर रहे स्टाफ को अपने प्रमोशन के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है। इस लालच में छात्र खुद ही नॉन अटेंडिंग प्रवेश लेना चाहते हैं। संचालकों द्वारा अटेंडेंस के लिए जोर जबरदस्ती करने पर झूठी शिकायत और सारी तिकड़म लगा लेते है ताकि क्लासेस अटेंड करना नहीं पड़े।
अधिकारी क्यों दोषी ?
सब कुछ पता होते हुए जानबूझकर अधिकारी सिर्फ माल कूटने में लगे रहते हैं। जब तक सब ठीक चल रहा है तब तक चुपचाप अपनी तिजोरी भरने में ध्यान देते हैं। जब शिकायत शिकवे होते हैं और कोर्ट का डंडा चलता है तब। बेवफा प्रेमिका की तरह अपने प्रेमी का साथ तुरंत छोड़ देते हैं और उल्टा इन्हीं संचालकों पर कार्यवाही करना चालू कर देते हैं जिनसे लाखों रुपए की वसूली कर चुके हैं होते हैं। मतलब मीठा मीठा गुडुप गुडूप, कड़वा कड़वा थू।
नेताओं की लीला अपरम्पार, इनका एक ही काम अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता
कहते हैं कि किसी थाना क्षेत्र का थानेदार यदि चाह ले तो एक चप्पल भी चोरी नहीं हो सकती। ऐसे ही यदि कोई नेता चाह ले तो उसके विभाग में भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता। पर *गांधी के इस देश में गांधीजी के बगैर कोई काम संभव नहीं है।* सूत्र बताते हैं की मान्यता के लिए सीटों के हिसाब से रेट तय होते हैं।
संचालक का दोष क्यों?
लालच की पराकाष्ठा पर खड़े कॉलेज संचालक पैसे कमाने की अंधी दौड़ में सारे सिस्टम को भ्रष्ट करने की बागडोर अपने हाथ में लिए चलते हैं। जिस संचालक ने जैसे तैसे जोड़-तोड़ करके एक कॉलेज चालू कर लिया तो वह इस भ्रष्ट सिस्टम को अच्छे से समझ जाता है और आने वाले दो-तीन साल में ही 8 से 10 कॉलेजों का मालिक बन जाता है।
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