प्रशासन, पुलिस और जिम्मेदारों की चुप्पी से मासूम जनों की कट रही जेब
अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाने की चाहत किसी व्यक्ति को इतना अंधा बना देती है कि वह फर्जी डिग्री बेचने वालों इंस्टीट्यूट की जांच तक नहीं करता, आप फेसबुक पर एक बार ऑनरेरी डॉक्टरेट या पीएचडी सर्च कर लीजिए उसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सैकड़ों की संख्या में ऐसे विज्ञापन दिखाता रहेगा जिनकी न तो डिग्री वैलिड है ना ही उन यूनिवर्सिटीज की मान्यता है।
फर्जी मानद डॉक्टरेट डिग्रियां बेचने का व्यवसाय भारत में एक आकर्षक व्यवसाय बन गया है। यह विशेष रिपोर्ट उजागर करती है कि कैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और पुलिस प्रशासन इस गुप्त उद्यम के खिलाफ शिकायतों पर आंखें मूंद रहे हैं। यह एक नए उभरता व्यवसाय हैं ऐसी योग्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कई वर्षों के विस्तृत शोध के बिना मानद डॉक्टरेट और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की डिग्री की बिक्री की जा रही है। इस फर्जी डॉक्टरेट मानद उपाधि के चक्कर में साधारण जनमानस ही नहीं बल्कि शासकीय कर्मचारी, एनजीओ कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील और नेता फंस कर हजारों रुपए बर्बाद कर देते हैं, कई शिक्षाविद अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाने की चाह में पीएचडी या मानद डॉक्टरेट उपाधि के लिए पागलपन की हद तक जा रहे हैं।
दैनिक सदभावना पाती अपने पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए इस मामले में पड़ताल कर रहा है, जहां रजिस्टर्ड यूनिवर्सिटी तरह तरह से फर्जी डिग्रियों को बांट रही है वहीं अनरजिस्टर्ड यूनिवर्सिटी और संस्थान भी मानद उपाधि के नाम पर पैसों की उगाई कर रही हैं। हमारी पड़ताल में पाया गया कि इस तरह के अधिकांश स्व-घोषित ‘विश्वविद्यालय’, जिन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों के रूप में चलाने की मान्यता नहीं है, भारत, अमेरिका और नाइजीरिया जैसे अन्य देशों से संचालित होते हैं, जबकि कुछ श्रीलंकाई प्रतिष्ठा या सम्मानजनक उद्देश्यों के लिए इन डिग्रियों के लिए स्वेच्छा से भुगतान करते हैं, ये ‘विश्वविद्यालय’ भी पेशेवरों से संपर्क करते हैं और उन्हें अपनी प्रोफ़ाइल को बढ़ावा देने के लिए डिग्री खरीदने के लिए राजी करते हैं। मानद डॉक्टरेट खरीदने के लिए कई बार कतर या नजदीकी देश में दीक्षांत समारोह आयोजित करके सैकड़ों डिग्री प्रेमियों को 25000 से 1,00,000 रुपयों तक में यह उपाधि बेचीं जा रही है।
जिस तरह विदेशी यूनिवर्सिटी मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ भारत में बेच रही हैं, उसी तरह भारत से संचालन करने वाली कई संस्थाएँ गैरकानूनी तरीके से भारतीय क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवारों को ऑनलाइन पीएचडी की पेशकश कर रही हैं। यह फर्जी अनरजिस्टर्ड यूनिवर्सिटियां बड़े होटल में दीक्षांत समारोह आयोजित कर शहर के बड़े नेताओं, पुलिस अधिकारियों, सम्मानित लोगों को चीफ गेस्ट बनाकर फर्जी मानद डिग्रियां बांटने का प्रोग्राम कर रही है यह फर्जीवाड़ा पूरे देश में चल रहा है स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस मामले में या तो अंधे बने हुए हैं या वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं। जब तक इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक उचित तंत्र नहीं बनाया जाता है, तब तक डॉक्टरेट बेचने का व्यवसाय दिन के उजाले में फलता-फूलता रहेगा, जिससे अकादमिक जगत में कई तरह की चिंताओं का मार्ग प्रशस्त होगा।
एक न्यूज़ चैनल Sprouts news की पड़ताल अनुसार फर्जी पीएचडी प्रदान करने वाले फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची।
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