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Indore Crime News – इंदौर में गैंगवार – पुलिस की सुस्ती से बढ़ रहे शहर में क्राइम, दिनदहाड़े चली गोली

Indore Crime.  शांति के शहर में पुलिस की सुस्ती से दिन व दिन क्राइम बढ़ता ही जा रहा है अब शहर में शराब कारोबारियों के बीच वर्चस्व को लेकर गैंगवार के हालात बन गए हैं। इसी को लेकर सोमवार शाम 4 बजे शराब कारोबारी अर्जुन पिता वीरेंद्र ठाकुर को कुछ गुंडों ने सत्यसाईं चौराहे पर गोली मार दी वारदात सोमवार शाम करीब 4 बजे सत्यसाईं चौराहा स्थित सिंडिकेट के ऑफिस के सामने हुई। लोगों ने गोली चलने की आवाज सुनी, तो सहम गए। वे कुछ समझ पाते, तब तक हमलावर भाग गए। घायल अर्जुन को राजश्री अपोलो अस्पताल ले जाया गया है। गोली अर्जुन के पेट में लगी है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों से पूछताछ की। बताया जाता है, दोनों के बीच शराब दुकान की लोकेशन को लेकर विवाद चल रहा है प्रारंभिक तौर पर पता चला कि अर्जुन की एबी रोड स्थित रघुनाथ पेट्रोल पंप के सामने शराब दुकान है। इसे लेकर कई महीनों से शराब सिंडिकेट से जुड़े लोगों से विवाद चल रहा था। दो दिन पहले भी इसे लेकर विवाद हुआ था। यह दुकान पूर्व में अर्जुन के पिता संचालित करते थे। पिता के निधन के बाद अर्जुन ने जब से दुकान संभाली, तभी से विरोधी उस पर दुकान देने के लिए दबाव बना रहे थे। बदमाश इस लोकेशन को हासिल करना चाह रहे हैं।

बात यह है की , यह शराब दुकान शहर की सबसे अच्छी लोकेशन पर है और यहां से सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिलता है। इसे लेकर कई दिनों से गैंगवार की स्थिति बन रही थी। लोगों के मुताबिक घटना के दौरान कुछ कुख्यात गैंगस्टर भी वहां थे। मामले में पुलिस गैंगस्टर सतीश भाऊ, हेमू ठाकुर, चिंटू ठाकुर सहित अन्य की भूमिका की जांच कर रही है। उधर, घटना के बाद अर्जुन पक्ष के गुस्साए लोग सिंडिकेट के ऑफिस पहुंचे और पथराव किया। पुलिस उन्हें रोकती रही, लेकिन वे बेकाबू हो गए और ऑफिस के कांच फोड़ दिए। इस पर वहां अफरा-तफरी मच गई। बिल्डिंग के अन्य ऑफिस बंद कर दिए।

घटना को लेकर अलग-अलग बातें सामने आ रही :-  कुछ लोगों का कहना है कि तीन-चार फायर किए गए हैं। यह भी पता चला है कि एक मामले में समझौते के लिए अर्जुन को बुलवाया गया था। इस दौरान बात बढ़ी और गोली मार दी गई। पुलिस इस बिंदु पर भी तफ्तीश कर रही है कि मौके पर तीन-चार गैंगस्टर थे, जिन्होंने अर्जुन को योजनाबद्ध तरीके से बुलाया और गोली मार दी , वैसे तो शराब सिंडीकेट से जुड़े ठेकेदारों में कई दिनों से तनातनी चल रही है। शहर के विजय नगर थाना क्षेत्र की एबी रोड, स्कीम 54, रोबोट चौराहा, पलासिया के अलावा शिप्रा, धार व नेपानगर की दुकानें करोड़ों का मुनाफा देती है। अर्जुन के पिता वीरेंद्र ठाकुर का भी सालों से नेटवर्क रहा है और कई ठेकेदार उनसे जुड़े थे। इस बीच अर्जुन ने भी जिम्मेदारी संभाली और कुछ समय पहले जब पिता की मौत हो गई तो एक तरह से कमान अपने हाथ में ले ली और सिंडिकेट से जुड़े कई ठेकेदारों से जुड़ता गया , सिंडिकेट में पिंटू भाटिया, हेमू ठाकुर के अलावा बी ग्रुप में मुकेश यादव रमेशचंद्र राय आदि हैं। सिंडिकेट में भी वर्चस्व को लेकर अलग-अलग ग्रुप बने, लेकिन मुनाफाखोरी के चलते एक भी हुए और फिर अलग भी। ऐसी ही स्थिति इन दिनों बनी हुई थी। खास बात यह कि दोनों पक्षों को राजनीतिक संरक्षण भी है। घटना के बाद आरोपी हेमू ठाकुर के पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के साथ के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। दूसरी ओर घायल अर्जुन ठाकुर के भी भाजपा के दो कद्दावर नेताओं से खासे संबंध हैं।

अर्जुन के पिता की तस्वीर फेंकने से उपजा था विवाद

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इधर, अर्जुन ठाकुर व हेमू ठाकुर के बीच वर्चस्व को लेकर करीब 10 दिन से मनमुटाव चल रहा था। दो दिन पहले भी इनमें विवाद हुआ था। इस बीच सोमवार सुबह गांधी नगर स्थित शराब की दुकान पर हेमू ठाकुर का एक सेल्समेन चार्ज लेने पहुंचा। बताया जाता है कि यहां अर्जुन पक्ष के मोहन ने उसे चार्ज नहीं दिया। अर्जुन ने कहा कि तुम जाकर सिंडिकेट के ऑफिस से पर्ची बनवा लाओ तो मैं देता है। इस पर सेल्समेन व मोहन में विवाद हुआ और सेल्समेन चला गया। कुछ देर बाद वह हेमू व चिंटू के पास पहुंचा और उन्हें मामला बताया। इस पर हेमू ने गुस्से में आकर सेल्समेन को भगा दिया। फिर हेमू, चिंटू व इनके साथी गांधी नगर स्थित दुकान पर पहुंचे और विवाद किया। इस दौरान उन्होंने वहां लगी अर्जुन के पिता स्व. वीरेंद्र ठाकुर की फोटो फ्रेम उठाकर फेंक दी। इसे लेकर विवाद ने तूल पकड़ा और कुछ देर बाद अर्जुन ठाकुर व उसके साथी वहां पहुंचे। यहां दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई। बमुश्किल विवाद खत्म हुआ और दोनों पक्ष सिंडिकेट के ऑफिस में समझौते के लिए पहुंचे। यहां फिर विवाद हुआ और चिंटू ठाकुर पक्ष ने उस पर गोली चला दी।

हर थाना गैंगवार की स्थितियों से वाकिफ, फिर भी…

सोमवार को हुआ गोलीकांड तो महज एक मामला है लेकिन स्थिति यह है कि शराब की खास मुनाफा देने वाली दुकानों के विवादों को लेकर आबकारी विभाग ही नहीं थाना पुलिस भी वाकिफ है। इसके बावजूद किसी तरह की सख्ती नहीं है। यह जानते हुए भी कि इसमें कुख्यात गैंगस्टर जुड़े हैं। इस घटना में जिस गैंगस्टर सतीश भाऊ का नाम आया है वह 1990 के दशक के चर्चित विष्णु उस्ताद हत्याकांड का आरोपी रहा है। तब उस गैंगवार में छह लोगों की हत्या हुई थी सतीश भाऊ के खिलाफ कई केस दर्ज हैं तथा रासुका सहित सख्त कार्रवाई भी हो चुकी है। ऐसे ही चिंटू व पिंटू के खिलाफ भी कई केस दर्ज हैं। कुछ साल पहले इंदौर में हुई एक हत्या के मामले में चिंटू का भी नाम आया था।

आरोपियों के सरेंडर की चर्चाएं…

इस बीच गैंगवार का मामला भोपाल तक गर्मा गया। मामले में गृह मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आईजी हरिनारायणचारी मिश्र से बात की और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। सूत्रों के मुताबिक आरोपी चिंटू ठाकुर, हेमू ठाकुर, पिंटू भाटिया, अंजुमन अय्यर, सतीश भाऊ, दयाराम आदि ने देवास में सरेंडर कर दिया है लेकिन अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। इसके पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे ने आईजी हरिनारायणाचारी से चर्चा की तथा कहा कि इंदौर शांति का टापू है। इसमें किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने गैंगवार में शामिल सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की बात कही। आईजी ने उन्हें आश्वस्त किया कि सभी आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी होगी। आरोपियों को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। दूसरी ओर गोलीकांड के बाद मरीमाता चौराहा स्थिति हेमू ठाकुर की एक शराब की दुकान में तोड़फोड़ कर दी गई। इसके बाद बाणगंगा व गांधी नगर क्षेत्र की सभी शराब की दुकानें बंद कर दी गई। इन दुकानों सहित आरोपी हेमू ठाकुर के बाणेश्वरी कुण्ड स्थित मकान के बाहर भारी पुलिस बल लगा दिया गया

सतीश भाऊ की क्या है मंशा 

पुलिस ने सतीश भाऊ को भी आरोपित बनाया है। हमले के पीछे भाऊ की भूमिका भी सामने आ रही है। वह दो महीने पहले ही जेल से रिहा हुआ है और अब अपराध की दुनिया में अपना दखल बढ़ाना चाहता है। शराब के ठेकों में पहले नागेंद्र सिंह ठाकुर और उसके भाई वीरेंद्र सिंह ठाकुर का वर्चस्व रहा, लेकिन दोनो की मौत हो जाने के बाद वीरेंद्र का बेटा अर्जुन ही काम संभाल रहा था। नागेंद्र और वीरेंद्र की मौत के बाद भाऊ शराब ठेकेदारों के बीच अपना खौफ पैदा करने की तैयारी कर रहा था, ताकि अवैध शराब के धंधे में अड़चन न आए। अर्जुन पर हमले के बाद सतीश की गैंग अवैध वसूली, विवादित प्लाटों के अलावा शराब के धंधे में भी वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश करेगी। गैंगस्टर सतीश भाऊ 20 साल पहले गुंडे विष्णु मराठा का खास माना जाता था, लेकिन उसने जीतू ठाकुर के साथ विष्णु की ही हत्या कर दी थी। इस मामले में वह जेल में सजा काट कर दो माह पहले ही रिहा हुआ था। सतीश जेल से ही अपना गिरोह चलाता था और उसके गुंडे व्यापारियों से अवैध वसूली, विवादित प्लाटों का काम संभालते थे। इसके चलते उसे इंदौर की सेंट्रल जेल से रीवा की जेल में शिफ्ट किया गया था। सात साल पहले जेल में गुंडे अर्जुन त्यागी हो गई थी। वह सतीश का ही गुर्गा था।

युवराज से है दुश्मनी 

विष्णु मराठा की हत्या का बदला उसके बेटे युवराज ने लिया। उसके गुर्गों ने महू जेल में बंद जीतू ठाकुर की हत्या कर दी थी। इसके बाद युवराज ने भी अपनी गैंग बना ली और विवादित जमीन की खरीदी-बिक्री, अवैध वसूली के काम करने लगा। युवराज और सतीश भाऊ के बीच अदावत है। दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं। दोनों की गैंग से जुड़े गुर्गे भी एक-दूसरे के कामों में दखल देने लगे हैं। पुलिस को भी आशंका है कि दोनों गैंग में भविष्य में गैंगवार हो सकता है।

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