सुप्रीम कोर्ट ने शासकीय कर्मचारी चिकित्सकों को बड़ी राहत दी है। कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2008 से 12 के बीच कर्मचारियों को दिए गए अतिरिक्त वेतन की वसूली नहीं की जा सकेगी। इस मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। सरकार द्वारा 2008 से 12 के बीच शासकीय चिकित्सकों को वेतन वृद्धि जारी किए गए थे।
कोर्ट के इस फैसले का लाभ उन लोगों को मिलेगा, जो 2013 में उसके बाद रिटायर हुए हैं। बता दें कि वर्ष 2008 में राज्य शासन के आदेश के मुताबिक शासकीय डॉक्टर्स कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि हुई थी। जिसमें चिकित्सकों के वेतन को वरिष्ठता के आधार पर भी दे देते हुए 4000 से 12000 तक बढ़ाया गया था।
हालांकि 2012 में सरकार ने अपने दिए आदेश को वापस ले लिया। इस दौरान कारण बताते हुए राज्य शासन ने कहा इस आदेश से राज्य शासन पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। इतना ही नहीं राज्य शासन ने 2013 में इसके बाद सेवानिवृत्त हुए चिकित्सक कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया। जिसमें राज्य शासन द्वारा 3 लाख से 10 लाख रुपए तक की वसूली को लेकर चिकित्सक कर्मचारियों को नोटिस जारी हुए थे।
इस मामले में चिकित्सक कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि के आदेश को वापस लेने के फैसले को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसने हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा चिकित्सक कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। राज्य शासन द्वारा युगल पीठ में एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए अपील प्रस्तुत की गई थी। मध्य प्रदेश की युगल पीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए राज्य शासन को राहत दी।
इस मामले में युवक पीठ के आदेश को मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती याचिका दायर कर दी। जिसमें अधिवक्ता रोहिन ओझा द्वारा पैरवी की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर कर्मचारियों को बढ़ावा देते हुए राज्य शासन को आदेश दिए हैं कि वह डॉक्टरों को पूर्व में दिए जा चुके वित्तीय लाभ की वसूली नहीं कर सकता है
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