Madhya Pradesh News

त्राहिमाम: चीख पुकार और शवों के बीच सरकार कुबेरेश्वर पर मौन, आयोजकों पर एफआईआर कब ? 

रुद्राक्ष महोत्सव में अब तक तीन मौतें,आग लगे बस्ती में प्रदीप मिश्रा मस्ती में 
ट्रैफिक इंटेलिजेंस सब फेल:अगर भीड़ का अनुमान नहीं था तो बागेश्वर बाबा से ही पूछ लेते 
हाइवे जाम लोग परेशान, हर रोज मौत की खबरें इन सब का जिम्मेदार कौन ? 
Kubereshwar Dham Sehore. सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान शुक्रवार को तीन साल के बच्चे की मौत हो गई। महाराष्ट्र के जलगांव से माता-पिता बच्चे को लेकर कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे। इस बीच एक अन्य महिला की मौत भी जिला अस्पताल में हो गई। दो दिन के दौरान कुल दो महिलाओं समेत तीन मौतें हो चुकी है, जबकि 73 लोग बीमार हुए हैं।
महोत्सव के पहले ही दिन गुरुवार को लाखों लोगों की भीड़ के कारण कार्यक्रम स्थल पर हालात बेकाबू हो गए थे। शुक्रवार को भी भारी भीड़ के बाद रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम रोक दिया गया। जिसके बाद रुद्राक्ष लेने के लिए देशभर से आए लोग खाली हाथ लौटने लगे।
इस बीच, पंडित मिश्रा ने कहा कि अब महोत्सव के बजाय पूरे साल मिलेंगे रुद्राक्ष। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित रुद्राक्ष महोत्सव में जलगांव के विवेक विनोद भट्ट पत्नी और दो बेटों के साथ गुरुवार को आए थे। भट्ट ने बताया कि 3 साल के बेटे अमोघ भट्‌ट की तबीयत पहले से थोड़ी खराब थी। गाड़ी की सुविधा नहीं हाेने से हम पैदल ही आए।
रास्ते में बच्चे की तबीयत और खराब हाे गई। हम उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां ICU में भर्ती कर लिया गया। शुक्रवार सुबह डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। अकोला की रहने वाली 40 वर्षीय मंगला गुरुवार शाम को चक्कर खाकर गिर पड़ी थीं। उन्हें जिला अस्पताल लेकर आए थे, जहां देर रात उनकी मौत हो गई। इससे पहले गुरुवार दोपहर को मालेगांव की रहने वाली 50 वर्षीय मंगला बाई ने भी दम तोड़ दिया था।

लोगों की परेशानी देखते हुए रुद्राक्ष बांटना रोका

रुद्राक्ष महोत्सव का शुक्रवार को दूसरा दिन है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही रुद्राक्ष के लिए लाइन में लगे हैं। भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की जगह नहीं है। फिलहाल रुद्राक्ष का वितरण रोक दिया गया है। हालांकि कल से उलट आज इंदौर-भोपाल हाईवे पर ट्रैफिक जाम के हालात नहीं हैं।
अब महोत्सव में नहीं बल्कि सालभर मिलेंगे रुद्राक्ष
पंडित मिश्रा ने शुक्रवार को कथा के दूसरे दिन कहा- इस रुद्राक्ष उत्सव से, इसके पहले के रुद्राक्ष उत्सव से, उसके पहले वाले रुद्राक्ष उत्सव से यही सीखने को मिला है कि रुद्राक्ष उत्सव करो, आयोजन हो, रुद्राक्ष का शिवलिंग बने, अनुष्ठान भी हो। बस उस रुद्राक्ष को रुद्राक्ष उत्सव के समय वितरित नहीं करते हुए पूरे साल जो कुबेरेश्वर धाम आते हैं, उन्हें दिया जाए। जो भक्त नहीं आ सकते, वे साल में कभी भी आकर यहां से रुद्राक्ष ले सकते हैं। लोग समझ रहे हैं यह रुद्राक्ष की भीड़ है, यह तो बाबा के भक्तों की भीड़ है।
पंडित मिश्रा बोले- सबको वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दे सकते
इससे पहले श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आप लोग यहां आए हैं, भगवान शंकर आप सब की मनोकामनाएं पूर्ण करें, मेरी यही विनती है। हमारे यहां 10 बजे से भोजन शुरू हो रहा है, 7 बजे तक चलता है, घबराने की आवश्यकता नहीं है।
22 कुओं का पानी यहां आ रहा है, लाइट चले जाने पर थोड़ी दिक्कत हो जाती है, इसके लिए माफी चाहता हूं। उन्होंने कहा कि दुनिया के लोग तो कुछ भी कहेंगे, इसके बाद उन्होंने कहा, आग लगे बस्ती में… सामने खड़े लोग बोले- हम अपनी मस्ती में। प्रदीप मिश्रा ने कहा- हम सभी को वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दे सकते।

तो बागेश्वर बाबा से ही पूछ लेते 

सीहोर में एक एक कर 10 लाख की भीड़ इक्कठी हो गई और सरकार की इंटेलिजेंस, ट्रेफिक पुलिस चद्दर ताने सोई रही, किसी को ये खबर नहीं लगी कि ये सब मिश्रा जी के धाम पहुँचने वाले लोग हैं, चलिए मान लीजिए कि इन्हें अनुमान नहीं भी था तो एक बाबा और भी तो हैं जो घटना होने से पहले सब कच्चा चिटठा खोल देते हैं उन्ही से पूछ लेते, वो हो शायद पर्ची निकाल देते.
हाइवे जाम लोग परेशान 
सीहोर आने के मुख्य 4 रास्ते हैं भोपाल इंदौर देवास आष्टा और नसरुल्लागंज; इन सब रास्तों पर पुलिस चौकी और नाके भी हैं पर ये भीड़ जो आसमान से उतरी किसी की नजर में आई ही नहीं और न आ रही है. सोचिए अगर इतनी ही भीड़ किसी और समुदाय के लोगों की होती तो आपका हमारा और शासन प्रशासन का नजरिया यही होता.स्टेट हाइवे जाम हो गया, लोग परेशान है कहीं एम्बुलेंस फंसी है कहीं लोग मर रहे हैं और पंडित जी कह रहे हैं कि हम अपनी मस्ती में....

हर रोज मौत की खबरें…

ये बेकाबू भीड़ है जो धर्म के नाम पर अंधी है, जिसको साँस लेने की गुंजाईश नहीं है पर ये रुद्राक्ष लेगी; ये भूखी भीड़ है जो गरीब किसानो के खेतों से चने उखाड़ कर ही अपना गुजारा कर रही है.
हर रोज मौत की खबरें आ रही है पर शासन और प्रशासन दोनों मौन धारण किए हुए है क्योंकि ये लोग व्यवस्थाओं और प्रबंधन को श्रद्धांजलि देने जो आए हैं क्योंकि इन्हें तो मालूम ही नहीं है कि ये घटना पिछले साल भी हो चुकी है. सरकार से सीधा सवाल है कि इन हो रही मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा, आयोजकों पर एफ़आईआर कब दर्ज होगी और लोगों को इस अव्यवस्था से निजात कब मिलेगा? 
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