गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी, महंगाई रोकने की कवायद

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sadbhawnapaati
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वित्त मंत्रालय का आदेश तुरंत प्रभाव से लागू। 2021-22 में देश से कुल 17 मिलियन टन गैर बासमती चावल निर्यात हुआ था।
भोपाल। देश में इस साल चावल का कैरीओवर स्टाक नाममात्र का है। अगले सीजन यानी अक्टूबर से आने वाले धान में भी उत्पादन कमजोर आंका जा रहा है।देशी बाजार में चावल की कीमतें बढ़ती जा रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को बड़ा निर्णय ले लिया।
चावल के निर्यात पर शुल्क लगाने का आदेश दे दिया गया है। केंद्र के आदेश के अनुसार अब गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लागू होगी। तत्काल प्रभाव से यह आदेश लागू कर दिया गया है। बासमती और भाप दिए (प्री वाइल्ड) चावल को निर्यात शुल्क से मुक्त रखा गया है।
वित्त मंत्रालय के आदेश के संदर्भ में देश के चावल बाजार के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2021-22 में देश से कुल 17 मिलियन टन गैर बासमती चावल निर्यात हुआ था। 60 प्रतिशत हिस्सा सफेद चावल का है शेष प्रीबाइल्ड व अन्य प्रकार के चावल है।
इस बीच खबर आ रही है 2 मिलियन टन चावल के कंसाइनमेंट लदान के बाद रवाना होने की तैयारी में है। यह कंसाइनमेंट भी अब एक्सपोर्ट ड्यूटी की जद में आ जाएगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनकर उभरा है।
2021-22 में कुल 9.6 बिलियन डॉलर की कमाई चावल निर्यात से हुई है। इस बीच अरब देशों से बासमती की अच्छी मांग बनी हुई है, जबकि अफ्रीका और एशियाई देशों से भारतीय गैर बासमती चावल की मांग निकल रही है।
दूसरी ओर देश में खरीफ सीजन में धान की बुवाई 5 प्रतिशत तक कमजोर है। ऐसे में देश में चावल के दामों में तेजी देखी जा रही है। उत्पादक मिलों ने दाम बढ़ा दिए है। स्थानीय बाजार में अगले महीने से 10-12 रुपये प्रति किलो तक की तेजी देखी जा रही थी।
सरकार की चिंता आम लोगों को पर्याप्त चावल उपलब्ध करवाने की है। ऐसे में एक्सपोर्ट ड्यूटी से चावल का निर्यात निश्चित रूप से घटेगा। लिहाजा स्थानीय बाजार में बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण हो सकेगा।
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