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डीएवीवी के 23 कोर्स एआईसीईटी में शामिल, अब पुरे देश के छात्र ले सकेंगे यहाँ दाखिला  

Education News. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देवी अहिल्या यूनिविर्सटी के 23 पीजी कोर्सेस को ऑल इंडिया कॉमन एंट्रेंस यूनिवर्सिटी टेस्ट (सीईयूटी) में शामिल कर लिया है।
इसके चलते अब एआईईईई की तर्ज पर देशभर से सीईयूटी में शामिल होने वाले स्टूडेंट DAVV को भी विकल्प के रूप में चुन सकेंगे।
इससे जहां एक ओर यूनिवर्सिटी में एमबीए कोर्स की खाली रह जाने वाली सीटें भरने में आसानी होगी, वहीं यूनिवर्सिटी इससे हर साल होने वाले 25 लाख रुपए के नुकसान से भी बच जाएगी।

अगले महीने से शुरू करेंगे आवेदन प्रक्रिया

यूनिवर्सिटी प्रबंधन को हर साल एमबीए डिजास्टर मैनेजमेंट, टूरिज्म, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और रूरल मैनेजमेंट जैसे पीजी कोर्स की सीटों को भरने में मशक्कत करना पड़ती है।
जिसके बाद भी 15 प्रतिशत सीटें खाली रह जाती हैं। वहीं सीईयूटी में शामिल होने के बाद अधिकारियों का मानना है कि अब सीटें खाली रहने का संकट नहीं झेलना पड़ेगा। अगले महीने इन कोर्स के लिए आवेदन मंगवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

23 यूजी पाठ्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू

यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सीईयूटी के जरिए होने वाले 23 यूजी पाठ्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं।
वहीं यूनिवर्सिटी प्रबंधन और एनटीए के बीच पीजी कोर्स की एग्जाम को लेकर चर्चाएं चल रही है। बताया जा रहा है कि इस माह के अंत तक लगभग 20 पीजी कोर्स का रास्ता साफ हो जाएगा।
DAVV हर साल एक दर्जन से अधिक विभागों में संचालित 43 कोर्स के प्रवेश के लिए सीईटी एग्जाम आयोजित करता है।
लेकिन इस साल DAVV सेंट्रल यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा सीईयूटी से जुड़ गया हैं। जिसके बाद अब यूजी और पीजी कोर्स की एग्जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) अलग- अलग करवाएगी।
हर साल 20 प्रतिशत सीटें रह जाती हैं खाली
DAVV काउंसलिंग के पहले चरण में ही कई कोर्स की सीटें फुल हो जाती थी। लेकिन काउंसलिंग के तीन चरणों के बावजूद आईएमएस के एमबीए डिजास्टर मैनेजमेंट और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन (5 ईयर), आईआईपीएस के एमबीए इन टूरिज्म (5 ईयर), सोशल साइंस के एमबीए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और रूरल मैनेजमेंट और स्कूल ऑफ कॉमर्स के एमबीए सहित कई अन्य कोर्स की 15 से 20 प्रतिशत सीटें खाली रह जाती हैं।

हर साल 20 प्रतिशत सीटें खाली रहने से यूनिवर्सिटी को 20 से 25 लाख रुपए का नुकसान होता है। लेकिन सीईयूटी से जुड़ने के बाद अब स्टूडेंट की रुचि इन कोर्स की तरफ बढ़ेगी।

क्योंकि अन्य राज्यों के विवि व कॉलेजों में यह पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाए जाते हैं। यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कहना है कि इस साल सीईयूटी के माध्यम से प्रवेश परीक्षा होने से यूनिवर्सिटी में संचालित कोर्स का प्रचार देशभर में हो रहा है। जिसके कारण उन कोर्सों को भी फायदा होगा, जिनमें प्रवेश कम होते हैं।

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