आज भी 25 कॉलोनियां वैध अवैध के चक्कर में उलझी

sadbhawnapaati
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* कॉलोनी रहवासी को नहीं मिल रहा लोन और एनओसी
* प्रदेश सरकार ने पहले की थी वेट करने की घोषणा
शहर से लेकर प्रदेश तक में हजारों अवैध कालोनिया लगातार विकसित होती जा रही है । भू -माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि पहले भी सरकारी जमीन पर भी कॉलोनी विकसित कर भूखंड आवंटन कर दिए थे। इसी बीच प्रदेश में सरकार बदलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार के दौरान भू माफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई हुई थी लेकिन एक बार फिर से वैध- अवैध के चक्कर में कई कालोनियां उलझ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने पहले 25 से 26 कॉलोनी वैध करने की घोषणा की थी लेकिन कोर्ट ने धारा 15 ए के कारण निरस्त हो गया था और मामला फिर उलझ गया है। दरअसल कालोनियों को वैध करने की घोषणा प्रदेश सरकार ने की थी और भूमि विकास अधिनियम की धारा 15 ए के तहत जिले के जिन कालोनियों को वैध किया गया था बाद में कोर्ट द्वारा 15 ए की धारा के तहत निरस्त करने से फिर कालोनियां अवैध हो गई है। अब हालत यह है कि इन कालोनियों में निवास करने वाले लोगों को ना तो एनओसी बराबर मिल रही है और ना ही लोन मिल रहा है। कई भूखंड धारी भी ऐसे हैं जो अपना मकान बनाना चाहते हैं परंतु कालोनियां अवैध होने के कारण लगातार परेशान हो रहे हैं। गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर पहले भी कई कालोनियों को वैध करने की योजना बनाई थी और प्रदेश सरकार शिवराज सिंह चौहान के पहले कार्यकाल के दौरान लगभग 174 कालोनियों को वैध करने की सूची तैयार की लेकिन वह सूची भी ऐसे ही रह गई थी । अभी हाल ही में कहा जा रहा है कि हाई कोर्ट द्वारा धारा 15 को खत्म करने का आदेश के साथ ही निगम द्वारा शहर को अवैध घोषित कर दिया गया है और जिन कालोनियों का घोषित किया गया है उसमें विराट नगर , श्याम नगर एनेक्स, सागर विहार , राज नगर एक्सटेंशन, शांति नगर , विशाल नगर , विश्वकर्मा नगर, सर्व सुविधा नगर, पार्श्वनाथ नगर , गिरधर नगर, वैभव नगर एक्सटेंशन , शांति नगर कॉलोनी और चौहान नगर कॉलोनी शामिल है।

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तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी कई कालोनियां भेद नहीं हो पा रही है। इसी बीच अभी हाल ही में प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा एक नई नीति इस मामले में लाई जा रही है जिसके चलते आगे क्या फैसला होगा। यह तो नहीं कहा जा सकता है परंतु लोगों को अवैध कालोनियों के लिए वैध होने का इंतजार है ताकि अपना आशियाना बना सकते हैं और उन्हें ऋण भी आसानी से मिल सकता है। गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया तो चल रही है लेकिन उक्त प्रक्रिया राजनैतिक पैंतरे बाजी में उलझ कर रह गई है।

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