इंदौर में ऑक्सीजन की किल्लत से हालात बिगड़े: कोविड अरव‍िंदो अस्पताल में नए मरीजों की एंट्री बंद, यह है वजह

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जरूरी दवाओं की कमी के कारण शहर के सबसे बड़े कोविड अस्पताल अरबिंदो ने बाहर बोर्ड लगा दिया है कि आगामी आदेश तक हम मरीज भर्ती नहीं कर पाएंगे। दिनभर लोग अपने मरीज को लेकर भटकते रहे, लेकिन कहीं बेड नहीं मिले। ऑक्सीजन की कमी के कारण आरके अस्पताल ने फिर परिजन को कह दिया कि या तो ऑक्सीजन लाओ या मरीज को ले जाओ। तमाम छोटे अस्पतालों में करीब एक हफ्ते से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।

अरबिंदो में फिलहाल 1100 मरीज भर्ती हैं और उन्हें रोज 18 मीटरिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 12 टन मिल पा रही है। उधर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, एमआर टीबी अस्पताल, चेस्ट वार्ड और एमटीएच अस्पताल में बुधवार तक की स्थिति में 929 मरीज भर्ती बताए गए। यहां रोजाना 18 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। पिछले हफ्ते तक यह खपत 26 मैट्रिक टन थी जिसे ऑडिट के बाद कम कर 18 मैट्रिक टन पर लाया गया।

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एमवायएच, चाचा नेहरू, सेवाकुंज अब तक शुरू नहीं, क्योंकि ऑक्सीजन नहीं
चाचा नेहरू अस्पताल को लेकर कहा जा रहा है कि वहां मरीज भर्ती किए जा रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि वहां सिर्फ ए-सिम्टोमेटिक मरीज को भर्ती किया जा रहा है। पूछने पर बताया जाता है कि ऑक्सीजन की दिक्कत है इसलिए 94 से कम ऑक्सीजन सेचुरेशन वाले मरीजों को नहीं लेंगे। एमवायएच, सेवाकुंज को भी इसीलिए शुरू नहीं किया जा रहा है।

50 मरीजों के लिए 20 से 25 सिलेंडर ही मिल पाए।

ईएसआईसी अस्पताल में बुधवार को 50 मरीज भर्ती थे, लेकिन 20 से 25 सिलेंडर ही मिल पाए। सामान्य मरीज को पांच लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन दी जाती है लेकिन मास्क वाले मरीजों काे 2 से 4 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन फ्लो दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार जो मरीज बायपेप या वेंटिलेटर पर है, उनमें ऑक्सीजन फ्लो कम नहीं कर सकते। नए मरीज इसीलिए भर्ती नहीं कर रहे हैं। अस्पतालों की क्षमता भी नहीं बढ़ाई जा रही। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित कहते हैं कि हमने ऑडिट के जरिए मांग कम की है। एनआरबीए मास्क पर 15 लीटर प्रति ऑक्सीजन दी जाती है। हम इसे कम कर 10 से 12 लीटर प्रति मिनट पर लाए हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।