इंदौर । शहर में पेट्स की 180 से अधिक दुकानें हैं तो घरों में पालतू पशु पक्षियों की गणना के अनुसार लगभग 4 लाख 12 हजार से अधिक की संख्या है। लॉकडाउन में मछलियों से लेकर पशु पक्षियों की जान आफत में फंस गई है। पेट्स एसोसिएशन द्वारा लगातार जिला प्रशासन से सुबह 2 घंटे के लिए दुकान खोलने की इजाजत मांग रहे हैं ताकि खासकर पेट्स को दाना पानी हो परंतु ना सरकार और ना ही जिला प्रशासन की ओर से राहत मिल रही है।
गत वर्ष लॉकडाउन में शहर भर की दुकानों पर लगभग दो लाख से अधिक मछलियां मर गई थी और इस वर्ष भी यही स्थिति निर्मित हो रही है। लॉकडाउन लगने के साथ ही दुकान संचालक कुत्ते बिल्ली से लेकर खरगोश या अन्य पक्षी घर ले जा सकता है जहां इनकी व्यवस्था होती है लेकिन मछलियों के लिए बॉक्स ले जाना संभव नहीं होता है इसलिए वह दुकानों पर ही कैद रहती है जिन्हें ऑक्सीजन के साथ-साथ दाना पानी की आवश्यकता रहती है और अधिकतम मछलियां बगैर दाना पानी के 4 से 5 दिन ही जीवित रह सकती है। इसके बाद इनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है। शहर में लगभग 180 से 200 अलग-अलग इलाकों में पेट्स की दुकानें हैं जहां पर पालतू जानवरों में ऑस्ट्रेलियन चूहे से लेकर जिनपिंग, खरगोश, कुत्ते , बिल्ली , कबूतर ऑस्ट्रेलियन तोते आदि जिनकी नियमित देखभाल जरूरी है। इसमें से पालतू कुत्ते से लेकर बिल्ली तो घर का खाना खाते हैं परंतु गिनी पिग से लेकर चूहे बदक कबूतर ऑस्ट्रेलियन तोते इन्हें दाना पानी कराना होता है जिनकी व्यवस्था शहर में नहीं हो रही है । ऐसे में पशु पक्षियों के विक्रेताओं ने एसोसिएशन के माध्यम से जिला प्रशासन से चर्चा की और कलेक्टर मनीष सिंह को इस संबंध में परेशानी बताई परंतु इस और जिला कलेक्टर ने कोई ध्यान नहीं दिया है। अब हालत यह है कि कोई भी पेट्स संचालक जैसे ही दुकान खोलता है तो नगर निगम या पुलिस पहुंच जाते हैं और इन्हें दुकान से तुरंत जाने का कहा जाता अन्यथा चालानी कार्रवाई की बात कही जाती है तो जेल भेजने की बात कहते हैं। ऐसे में लाखों मछलियों की जान एक बार फिर से खतरे में है। पिछले साल लॉकडाउन जैसी देसी विदेशी मछलियों के मरने की नौबत एक बार फिर से आ गई है जिससे दुकानदारों को लाखों रुपए का नुकसान होने का अंदेशा है।
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पेट्स शॉप ओनर मनोज बंदाबड़े ने बताया कि हमने अधिकारीयों से सुबह 7 से 10 तक का दुकान खोलने का समय मांगा है ताकि दुकानों पर हजारों की संख्या में मछलियों के अलग-अलग बॉक्स रखे हैं उनका ऑक्सीजन जांचने के साथ ही साफ-सफाई व दाना पानी डाल दिया जाए जिससे मछलियां नहीं मरेगी लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पर्यावरण हितैषी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश कुमार अमोलिया ने भी कलेक्टर मनीष सिंह को पत्र लिखकर इस तरह से मूक प्राणियों की जान बचाने के लिए अनुमति देने की मांग की है।
एडीएम मुख्यालय पवन कुमार जैन ने बताया कि हमारे पिछले लॉकडाउन के दौरान दी गई अनुमति का अनुभव बेहतर नहीं है क्योंकि दाना पानी देने के नाम पर दुकान खोल कर बैठ जाते हैं और फोन पर संपर्क कर पशु पक्षियों को बेचने का प्रयास दुकानदार करते हैं इसलिए अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि अगर पेट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी मिलकर काम करे तो और किसी तरह की बिक्री ना करें तो अनुमति सशर्त दी जा सकती है।
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