हाईकोर्ट द्वारा हड़ताल को अवैध करार देने के बाद, 3000 जू‍नियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

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sadbhawnapaati
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मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों के करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीसरे वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स के इनरोलमेंट रद्द कर दिए हैं। इसलिए अब हम परीक्षा में कैसे बैठेंगे।
मालूम हो कि स्नातकोत्तर (पीजी) कर रहे जूनियर डॉक्टर को तीन साल में डिग्री मिलती है, जबकि दो साल में डिप्लोमा मिलता है, कुछ ही घंटे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक तथा न्यायमूर्ति सुजय पॉल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी शासकीय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटों में काम पर लौटने के आदेश देते हुए कल (शुक्रवार) दोपहर ढाई बजे तक काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। युगलपीठ ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डॉक्टर के हड़ताल पर जाने की निंदा की है | मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए हम जल्द ही उच्चतम न्यायालय में जाएंगे।
 जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध पांच मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल (बर्खास्त) कर दिए गए हैं। इनमें GMC भोपाल के 95, MGM इंदौर के 92, गजराजा कॉलेज ग्वालियर के 71, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्याम शाह कॉलेज, रीवा के 173 स्टूडेंट्स शामिल हैं।

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ज्ञात हो की एमबीबीएस पास करने के बाद पीजी में एडमिशन लेने वाले छात्रों को जूनियर डॉक्टर कहा जाता है। इनमें पीजी के फर्स्ट, सेकंड और फाइनल ईयर के छात्र शामिल रहते हैँ। ये छात्र पढ़ाई के दौरान अलग-अलग अस्पतालों में प्रैक्टिस भी करते हैं।

विदित हो जूनियर डॉक्टरों ने एक लेटर हेड के साथ सामूहिक हस्ताक्षर की सूची लगा दी है, जबकि इस्तीफा व्यक्तिगत रूप से लिखने पर ही मान्य या अमान्य होता है। इस कारण इस्तीफा भी वैधानिक नहीं है। जानकारों का कहना है, जूनियर डॉक्टरों का कदम उन्हें भारी पड़ सकता है। पहला- यदि वह पीजी छोड़ते हैं या इस्तीफा देते हैं, तो उनको पीजी नियम के अनुसार 10 लाख रुपए जमा कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर मेडिकल कॉलेज उनके जमा ओरिजनल दस्तावेज डिग्री मार्कशीट जब्त कर लेगा।

सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप

प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने 6 मई को उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार बाद में मुकर गई।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।