विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत , भारत की राजधानी व ऐतिहासिक शहर दिल्ली,दिल्ली की धरोहर इंडिया गेट ‘इण्डिया गेट पर अवस्थित अमर जवान ज्योति। केन्द्र सरकार द्वारा नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाना अच्छी बात है, लेकिन सरकार के द्वारा अमर जवान ज्योति अखण्ड ज्योति स्वरूप मशाल को बुझा कर आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थापित करने की खबर से प्रत्येक देश प्रेमी के लिए आर्शचय की बात है ।
परिणाम स्वरूप सियासी राजनीति के गलियारे में सता पक्ष व विपक्ष के मध्य वाक्य युद्ध छिड़ गया है। सता पक्ष नेता जी के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने का स्वर्णिम अवसर के रूप में अपने पक्ष व समर्थकों का दिल जीतने का भरसक प्रयास कर रहा है वही दुसरी ओर विपक्ष इसे भारतीय को इतिहास बदलने का प्रयास बता रही है।
इस संदर्भ में विपक्ष ने सरकार से यह प्रशन कर रही है क्या -केन्द्र सरकार दो स्थानों पर हमारे अमर जवानों के नाम ज्योति जला सकती थी ।
इस संदर्भ में आम आदमी पार्टी राज्यसभा सांसद डा सुशील गुप्ता ने पंजाब के विधान सभा चुनावी जनसम्पर्क अभियान के दौरान कही।सुशील गुप्ता ने कहा कि हम सरकार के इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाए जाने का स्वागत करते है, लेकिन भारत के गुमनाम सैनिक की श्रद्धांजलि का प्रतीक, अमर जवान ज्योति को बुझा कर वॉर मेमोरियल की ईटरनल फ्लेम मे मिलाने का विरोध भी करते है ।
वे मानते है कि ज्योति से ज्योति तो जलाई जाती है लेकिन एक 50 बर्षो से जलती अखण्ड ज्योति को बुझा कर दुसरी ज्योति जलाई जा रही गई। भारत का इतिहास इसे कभी माफ नही करेगा ।
आप को बता दे दिल्ली के दिल मे 50 वर्षों से जलती आ रही अमर जवान ज्योति,जो भारत के गुमनाम सैनिक की श्रद्धांजली स्वरूप अखण्ड जलता मशाल सम्मान का प्रतीक भी है जिसे बुझा कर वॉर मेमोरियल की ईटरनल फ्लेम मे मिला दिया गया है, ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या हम दो जगह पर शहीदों को श्रद्वाजंलि देने के लिए अमर जवान ज्योति को जला कर नहीं रख सकते। सरकार के पास इसके लिए समय या इच्छा शक्ति की कमी है।
जैसा कि विदित है कि इंडिया गेट जिसे पहले भारतीय वॉर मैमोरियल कहा जाता था 90,000 सैनिकों को समर्पित है। जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया आर्मी मे 1914-1921 के बीच शहादत दी। ब्रिटिश आर्मी के 13,300 सैनिक और अफसरों के नाम इंडिया गेट पर लिखे हुए हैं। 1972 मे बांग्लादेशी स्वतंत्रता युद्ध के बाद इंडिया गेट के अंदर काले मार्बल पर उल्टी राईफल और सैनिक की हेलमेट के साथ अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ और इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था।
गुमनाम वीर सैनिक को श्रद्धांजलि का प्रतीक अमर जवान ज्योति पिछले 50 वर्षों से लगातार जल रही थी। आर्मी,नेवी और एयरफोर्स के एक सैनिक 24 घंटे अमर जवान ज्योति की निगरानी पर तैनात रहते थे।जो साधारण भारतीयों को अपने सैन्य बल के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बहुत ही भावात्मक व प्रेरणा स्थल रहा है।
केन्द्र में सतारूढ़ भाजपा सरकार ने पिछले 50 वर्षों की दो पीढ़ियों के जज्बात और यादों के प्रतीक को कल बुझा दिया गया हैै।जिसे २० जनवरी को 400 कदम दूर राष्ट्रीय समर स्मारक की ईटरनल फ्लेम मैं अमर जवान ज्योति का स्थानांतरण कर दिया गया।
भारतीय के सच्चे राष्ट्र प्रेमी में अफसोस है की वीर सैनिको की याद को बिना किसी विशेष वजह से खत्म कर दिया गया। बडे संख्या मे पटर्यक इंडिया गेट के आस-पास पिकनिक मनाना, बोट राइडिंग करना, चिल्ड्रंस पार्क में खेलना और राजपथ पर आइसक्रीम खाना यह सब हमारे बचपन का हिस्सा है।
अमर जवान ज्योति को जलते देख सभी अनगिनत सैनिकों का स्मरण किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा और आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी।
विपक्षी राजनीति दल के नेताओ ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इतिहास बना तो नहीं सकती, हां इतिहास मिटाने का काम जरूर कर रही है।
आम जनता के मन मे सवाल उठ ना स्वाभाविक है कि कौन सा देश है जो अपने वीर सैनिको के नाम दो अखण्ड ज्योति को जलाये नही रख सकती नहीं।सता की नशा में केन्द्र की भाजपा सरकार भारत के इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है और 2014 के पहले के राष्ट्रीय चिन्हों को खत्म करने का प्रयास हो रहा है।
जहाँ तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडिया गेट पर प्रतिमा लगाए जाने के प्रसास केन्द्र सरकार का एक सहारणीय कदम है जिसका प्रत्येक भारतीय सच्चे दिल से स्वागत करने के लिए आतुर है।
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को भारत ही नही वरन आजादी के पूर्व स्वतंत्रता संग्राम व आजाद हिन्द फौज को अमर कहानी अविस्मरणीय है।नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के 125 वी जयंती 23 जनवरी को देश भर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।
भारत इन दिनों अपनी आजादी के 75 वी वर्ष गाढ पर आजादी के अमृत महोत्सव मना रही है।इण्डिया गेट पर नेता जी के आदम कद की प्रतिमा लगना प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व की बात है। अतः मे नेता जी की जयंती पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं । फिलहाल आप हम यह कहते हुए विदा लेते है। ना ही काहूँ से दोस्ती ‘ ना ही काहूँ से बैर ‘खबरी लाल तो मांगे सबकी खैर ॥