बयान के मायने कांग्रेस का समर्थन, क्या है सियासी चाल ?
आज छतरपुर में मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का दर्द छलक पड़ा। उमा ने कहा कि सरकार मैं बनाती हूं, चलाता कोई और है। मेरे साथ यह सुखद संयोग होता रहा है।
वही केन-बेतवा परियोजना (Ken-Betwa Project)का जिक्र करते हुए कहा कि योजनाएं लाती मैं हूं और कोई मेरा नाम नहीं लेता। जब ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना की आधारशिला रखी गई थी, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और मैं भाजपा से बाहर थी, तभी भी ना तो कांग्रेस ने और ना ही भाजपा ने उनका नाम लिया।
अब अगर केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला भी रखी जाएगी तो उन्हें प्रोटोकॉल के तहत मंच पर जगह भी नहीं मिलेगी, क्योंकि वह न तो सांसद हैं और न ही विधायक हैं।
उमा ने अपना दर्द छुपाते हुए कहा कि इस वजह से पहले ही मैं कह रही हूं कि प्रोजेक्ट लागू हो गया, मैं इसमें ही खुश हूं। लेकिन उन्होनें यह भी दावा किया कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी, हालांकि कौन से क्षेत्र से लड़ेंगी के जवाब को टाल दिया और कहा कि मैंने कहा था कि मैं 2019 का चुनाव नहीं लडूंगी, लेकिन यह कभी नहीं कहा कि मैं आगे कोई चुनाव नहीं लडूंगी।
उमा के इस बयान ने साफ कर दिया है कि वे आगे भी राजनीति में बनी रहेंगी और उनका वनवास खत्म हो गया है। उमा के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है। इधर, उमा के बयान ने बीजेपी में हलचल मचा दी है।
कांग्रेस का समर्थन
उमा भारती के इस बयान को कांग्रेस ने लपका लिया है और बीजेपी पर हमले बोल रही है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा है कि एक योग्य, जुझारू, दमदार नेता उमा भारती जी का सामयिक दर्द स्वाभाविक, पहले षड्यंत्रपूर्वक CM पद से हटवाया,केंद्रीय राजनीति में भेजा, लोकसभा का टिकट भी काटा, अब मप्र में भी पैर जमाने नहीं दे रहे हैं!इतने भयभीत क्यों? फसल बोए कौन काटे कौन??