पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि जब एक राज्य सरकार कर्मचारियों के हित में काम कर सकती है, तो फिर दूसरी राज्य सरकार क्यों नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने तो कर्मचारियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर ऐतिहासिक कदम उठाया है. इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार भी प्रदेश के हजारों कर्मचारियों के हितों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करे.
सरकार पर नहीं पड़ेगा बोझ
भनोत ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम से न तो सरकार पर कोई बोझ पड़ेगा और न ही प्रदेश का बजट गड़बड़ा होगा. यह सरकार का काम है कि वह कैसे जनता की सेवा करने के लिए ठोस कदम उठाए. भनोत ने कहा कि अगर इच्छाशक्ति हो तो हर योजना पर अमल किया जा सकता है. कमलनाथ सरकार ने किसान कर्ज माफी करके दिखाया था. गौरतलब है कि 2004 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बंद करके नई पेंशन स्कीम लागू की थी. नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल रही थी. असुरक्षा की भावना के चलते कर्मचारी राजकीय सेवा में अपना दायित्व निभाने में असहज महसूस कर रहे थे.
क्या अंतर है पुरानी और नई पेंशन योजना में?
वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना को बंद करके जो नई पेंशन योजना लागू की गई है उसमें कर्मचारियों के मूल वेतन और महंगाई भत्ते से 10 प्रतिशत काटा जाता है. जबकि, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों के वेतन से कोई अंशदान नहीं काटा जाता था. साथ ही पुरानी पेंशन योजना में सरकार द्वारा पेंशन दिए जाने की गारंटी थी. नवीन योजना में पेंशन देने की सरकार की कोई गारंटी नहीं है. इसमें शेयर मार्केट के आधार पर पेंशन तय होती है. विश्व में किसी भी प्रकार की घटना के बाद शेयर मार्केट में उथल फुथल मच जाती है. ऐसे में कर्मचारियों में पेंशन को लेकर भय का माहौल है.