इंदौर। इंदौर प्रशासन की सक्रियता के चलते समय रहते कार्रवाई कर एक नाबालिग लड़की समेत कम उम्र के तीन लोगों के बाल विवाह को रुकवा दिया गया।
बाल विवाह के खिलाफ महिला और बाल विकास विभाग के गठित उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इंदौर की 17 वर्षीय लड़की के परिजन उसकी शादी पड़ोसी धार जिले के एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में रविवार को करने जा रहे थे।
उड़नदस्ता प्रभारी ने बताया, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दिए जाने पर लड़की के परिजन उसका बाल विवाह रोकने पर राजी हो गए और उन्होंने घर आए मेहमानों को लौटा दिया।
पाठक ने बताया कि इसी तरह 17 और 19 साल के दो लड़कों की कम उम्र में शादी रुकवाई गई। उन्होंने बताया, इंदौर के दोनों लड़कों की शादियां पड़ोसी देवास शहर में शनिवार को ही होनी थी।
हमने बारात की रवानगी से ऐन पहले उनके घर पहुंचकर ये शादियां रुकवा दीं। उड़नदस्ता प्रभारी ने बताया कि प्रशासन ने कम उम्र के तीनों लोगों के परिजनों से बाकायदा शपथ पत्र लिया कि वे अपनी संतानों का विवाह उनकी वैधानिक उम्र होने के बाद ही करेंगे।
गौरतलब है कि देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है जो कानूनन अपराध है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है।