भोपाल। एमपी में साइबर अपराध के मामले रॉकेट की रफ्तारसे आगे बढ़ रही है। पिछले दो महीनों में अकेले शहरों में साइबर अपराध के 600 से अधिक मामले सामने आए हैं। यह संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।
वहीं, चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तो इस तरह के मामले दर्ज भी नहीं करवाते हैं। वहीं, एमपी में साल 2021 में साइबर अपराध के कुल 3600 मामले दर्ज हुए थे। इस साल दो महीने में ही यह आंकड़ा छह सौ के पार पहुंच गया है।
पिछले साल जो मामले दर्ज हुए थे, इसमें साइबर अपराध, सेक्सटॉर्शन, सोशल मीडिया पर मॉफ्र्ड तस्वीरें शेयर करना, अश्लील टिप्पणियां और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट शामिल हैं।
वहीं, पिछले दो महीनों के दौरान ऐसे मामलों में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2021 में दर्ज कुल साइबर अपराधों की शिकायत में 25 फीसदी मामले महिलाओं के खिलाफ थे।
इस साल बढ़त का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2022 के पहले दो महीनों में ही संख्या बढ़कर 32 फीसदी हो गई है। तीन फीसदी मामले अलग-अलग क्षेत्रों के हैं। सबसे ज्यादा मामले वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित हैं। दो महीने में जो मामले दर्ज हुए हैं। उनमें 65 फीसदी शिकायतें ऑनलाइन धोखाधड़ी की है।
राज्य की वास्तविक स्थिति बहुत गंभीर
एमपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह केवल आधिकारिक पुलिस डेटा है, जिसमें पीडि़तों ने पुलिस से संपर्क करने का साहस दिखाया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में वित्तीय धोखाधड़ी की राशि कम होती है, रिपोर्ट भी नहीं की जाती है।
ऐसे में राज्य की वास्तविक स्थिति बहुत गंभीर है। पुलिस के अनुसार पिछले साल साइबर सेल ने एमपी निवासियों को ऑनलाइन ठगने के आरोप में तीन विदेशी नागरिकों सहित 170 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया था।
2021 के दौरान साइबर धोखाधड़ी पीडि़तों को लगभग एक करोड़ रुपए वापस किए गए, जबकि 25 लाख रुपए जालसाजों के बैंक खातों में जमा कर दिए गए।
वहीं, इस साल पहले दो महीनों में पुलिस ने कहा कि साइबर क्राइम रैकेट का पर्दाफाश करके कुल 15 ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों को सुलझा लिया है। उन्होंने दावा किया है कि जालसाजों के बैंक खातों में लगभग 20 लाख रुपए जमा हुए, जिसे पीडि़तों को वापस किया जाएगा।
साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने कहा कि जनवरी में 320 अपराधों की शिकायतें मिली थीं, जबकि फरवरी में ऐसी 300 शिकायतें मिली थीं। इन महीनों के दौरान लगभग 200 शिकायतों का निपटारा किया गया या उनका समाधान किया गया।
-मप्र की साइबर पुलिस है देश में नंबर वन
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर ने बेस्ट इन्वेस्टिगेशन के लिए मप्र को पहला नंबर दिया था।
इंटरनेशनल क्रिप्टो करेंसी रैकेट के खुलासे के लिए मप्र साइबर पुलिस को सबसे बेहतरीन माना गया है। कर्नाटक को दूसरा और तेलंगाना को तीसरा स्थान मिला है।
उल्लेखनीय है कि साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए मप्र की साइबर क्राइम पुलिस भी तैयारियों में जुटी है।
बता दें कि मप्र साइबर क्राइम पुलिस साइबर ठगों से जुड़ी हर जानकारी का डाटाबेस तैयार कर रही है। इसमें आरोपितों द्वारा की गई वारदात का तरीका और उनकी व्यक्तिगत जानकारी का ब्यौरा शामिल किया जा रहा है।