(लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन)
ब्रिटिश हुकूमत की दो सौ साल की गुलामी यूं ही समाप्त नही हुई थी।जिन अंग्रेजों के राज में कभी सूरज नही डूबता था ,उन्ही अंग्रेजों को भारत की बागडोर रात के अंधेरे में देश के नायकों को सौंपनी पड़ी।यह सच है ,आज़ादी की लड़ाई नरम व गर्म विचारधाराओं के साथ लड़ी गई लेकिन दोनों का उद्देश्य सिर्फ ओर सिर्फ देश की आजादी था।जिसे पाने के लिए अनेक बलिदान दिए गए ,जन्मे बच्चों से लेकर युवा,प्रौढ़ और बुजुर्ग सभी आयु वर्ग के थे।
इस आज़ादी और आजादी के दीवानों को याद करने के लिए पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।लेकिन क्या वास्तव में आज़ादी के दीवानों और उनके परिजनों को अब वह सम्मान मिल पा रहा है,जिसके हकदार वे है?
इसी विषय पर विचार मंथन करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति समेत देश के 28 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठनों ने संयुक्त रूप से मध्यप्रदेश के इंदौर में 6 व 7 मई को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आहूत किया है।
जिसमे अमर शहीद भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु, मंगल पांडे,उधम सिंह,जगदीश प्रसाद वत्स,अशफ़ाक़ उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद,तात्या टोपे,सुभाष चंद्र बोस आदि के वंशज भी भाग ले रहे है,जिन्हें गौरवपूर्ण सम्मान भी दिया जाएगा।स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी इस सम्मेलन के सूत्रधार है।
इस सम्मेलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों की पीड़ा व्यक्त व्यक्त की जाएगी, साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव के चलते भी केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा उनके परिवारों की पीड़ा को नजरअंदाज कर रही है,इस ओर भी सरकार का ध्यानाकर्षण कराया जाएगा।
आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सरकार व नोकरशाही द्वारा की जा रही इस उपेक्षा और अपमान से देश भर के स्वतंत्रता सेनानी संगठन व उनसे जुड़े दो करोड़ परिवारजन आक्रोशित हैं।
इस सम्मेलन में देश के स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के हितों की रक्षा करने के लिए संघर्ष का आव्हान किया जाएगा। स्वतंत्रा सेनानी उत्तराधिकारी संयुक्त संगठन भोपाल के संयोजन में स्वतंत्रता सेनानी परिवार का यह राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देश भर से लगभग 100 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,उनकी वीरांगनाएं, शहीदों के वंशज तथा लगभग 1000 स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी शामिल हो रहे है।
इन परिवारों द्वारा कई बार भारत सरकार से मांग की गई है कि दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक की स्थापना की जाए, संवैधानिक संस्थाओं में सेनानी परिवारों का मनोनयन किया जाए,स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार आयोग का गठन किया जाकर उन्हें राष्ट्रीय परिवार का दर्जा दिया जाए, उन्हें आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान बनाया जाए, शैक्षणिक पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी शामिल की जाए किंतु अभी तक सरकार द्वारा किसी भी मांग पर सार्थक कदम नहीं उठाया गया है।
तभी तो इंदौर के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी स्वतंत्रता सेनानी संगठनों के प्रतिनिधियों की समन्वय समिति बनाकर इन मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने की घोषणा की जाएगी।ज्वलंत मुद्दों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम से सड़कों का नामकरण के प्रस्ताव कई वर्षों से सरकारी स्तर पर धूल फांक रहे हैं ,वही आज़ादी के अमृत महोत्सव का प्रदर्शन मात्र दिखावे को किया जा रहा है, जो शर्मनाक है।
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी मुरली मनोहर ने हरिद्वार के शहीद जगदीश प्रसाद वत्स की प्रतिमा तथा शहीद पार्क की दुर्दशा पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन से इन दोनों पार्कों के सौन्दर्यीकरण के लिए कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन अभी तक झूठे आश्वासन ही मिलते रहे है,जो चिन्ताजनक है।
अमर शहीद जगदीश प्रसाद वत्स की बाबत उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा उनकी जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने का आदेश दिया था,जो आज तक कारगर नहीं हुआ है।
वही वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 9 अगस्त 2021 में हरिद्वार के सलेज फार्म में शहीद जगदीश वत्स स्वतंत्रता सेनानी सेवा सदन बनाने की घोषणा की गई थी, किंतु अभी तक नगर निगम हरिद्वार द्वारा सेवा सदन के लिए भूमि तक आवंटित नहीं की गई, वही शहीद पार्क का सौंदर्यीकरण का मामला अधर में लटका हुआ है।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके उत्तराधिकारियों के सम्मान की रक्षा तथा उनकी समस्याओं के निराकरण के प्रति केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बरती जा रही उदासीनता के प्रति सरकारों को सचेत करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार का यह आयोजन मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है।क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों के हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत देशभर में कार्यरत 28 सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठनों द्वारा जो एक जुटता दिखाई गई।उससे सार्थक परिणाम आने की उम्मीद जगी है।
12 मार्च 2021 से आरंभ हुआ आजादी का अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2022 को समाप्त हो जाएगा, लेकिन इस अवधि के दौरान केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने केवल खोखला प्रदर्शन और औपचारिकताओं का निर्वाह ही किया है तथा स्वतंत्रता सेनानियों तथा उनके उत्तराधिकारियों के मान-सम्मान एवं उनकी समस्याओं के बारे में जितने भी ज्ञापन केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों को दिए गए उनमें से किसी भी बिंदु पर कोई अमल सरकारों द्वारा नहीं किया गया है।
सरकारों की इस उदासीनता से आहत होकर ही देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों तथा उनके उत्तराधिकारियों को अब इंदौर में यह राष्ट्रीय महा सम्मेलन आयोजित करना पड़ रहा है, जिसमें देश भर के स्वतंत्रता सेनानी तथा उनके परिवार के सदस्य शामिल हों रहे है।
आजादी के संघर्ष में सबसे अधिक त्रासदी झेलने वाले सेनानी परिवारों की पीड़ा को व्यक्त करते हुए तथा उनके मान सम्मान को अक्षुण बनाए रखने के लिए कई बार भारत सरकार को दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी स्मारक की स्थापना, संवैधानिक संस्थाओं में सेनानी परिवारों का मनोनयन ,सेनानी उत्तराधिकार परिवार आयोग का गठन, उत्तराधिकारियों को राष्ट्रीय परिवार का दर्जा दिया जाना, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारियों के बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में प्राथमिकता से प्रवेश की सुविधा दिलाना, उत्तराधिकारी परिवारों का आर्थिक सर्वेक्षण करके निर्धनतम परिवारों को पेंशन आदि की सुविधा प्रदान करना, स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों की जीवनी स्थानीय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल कराने हेतु अनेक सुझाव ज्ञापनों के माध्यम से केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को दिए गए।
अब इंदौर के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी संगठनों के प्रतिनिधियों की एक समन्वय समिति बनाकर व्यापक स्तर पर एक राष्ट्रीय आंदोलन चलाने की घोषणा की जा रही है।
महासम्मेलन के सभा स्थल पर लोक माता देवी अहिल्या बाई द्वार, चंद्रशेखर आजाद द्वार तथा सीमांत गांधी द्वार बनाए गए है। सभा स्थल को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम दिया गया है।इस भव्य कार्यक्रम में सरकार से जुड़े कई वरिष्ठ नेता भागीदारी कर रहे है वही अपने शासनकाल में स्वतंत्रता सेनानियों व उनके परिवारों का मान बढाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस महासम्मेलन का हिस्सा बन रहे है।
महासम्मेलन के सभा स्थल पर लोक माता देवी अहिल्या बाई द्वार, चंद्रशेखर आजाद द्वार तथा सीमांत गांधी द्वार बनाए गए है। सभा स्थल को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम दिया गया है।इस भव्य कार्यक्रम में सरकार से जुड़े कई वरिष्ठ नेता भागीदारी कर रहे है वही अपने शासनकाल में स्वतंत्रता सेनानियों व उनके परिवारों का मान बढाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस महासम्मेलन का हिस्सा बन रहे है।