Religious News. अचला एकादशी हर साल मनाई जाती है। इसका महत्व महाभारत, नारद और भविष्यपुराण में बताया गया है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत और पूजन करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
आप सभी को बता दें कि इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जी हाँ और इस बार अचला एकादशी पर आयुष्मान और गजकेसरी नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं।
ऐसे में इन योगों के होने से इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है। जानिए अचला एकादशी की कथा:
एकादशी तिथि का समय – ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि मई 25, बुधवार की सुबह 10:32 से शुरू होगी जो अगले 26 मई, गुरुवार की सुबह लगभग 10:54 तक रहेगी।
अचला एकादशी व्रत की कथा – किसी समय एक देश में महिध्वज नामक धर्मात्मा राजा था। राजा का छोटा भाई ब्रजध्वज बड़ा ही अन्यायी और क्रूर था। वह अपने बड़े भाई को अपना दुश्मन समझता था।
एक दिन ब्रजध्वज ने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी व उसके मृत शरीर को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया।
इसके बाद राजा की आत्मा उस पीपल में वास करने लगी। एक दिन धौम्य ऋषि उस पेड़ के नीचे से निकले। उन्होंने अपेन तपोबल से जान लिया कि इस पेड़ पर राजा महिध्वज की आत्मा का निवास है।
ऋषि ने राजा के प्रेत को पीपल से उतारकर परलोक विद्या का उपदेश दिया। साथ ही प्रेत योनि से छुटकारा पाने के लिए अचला एकादशी का व्रत करने को कहा। अचला एकादशी व्रत रखने से राजा का प्रेत दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।