दम तोड़ती प्रकृति की धरोहरें – बाँझ होती धरती

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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बचपन से सुनते आये थे कि नदियाँ और जल हमेशा से ही मानव समाज के लिए प्रकृति के द्वारा भेंट किये गए अद्भुत उपहारों मे से एक है। ऐसा ही उपहार प्रकृति ने मध्यप्रदेश के उमरिया जिले से बीस किलोमीटर दूर स्थित चंदिया कस्बे को भी दिया था।
छोटे से झील नुमा स्थान से उदगम होते हुवे यह एक विशालकाय नदिया बन गई जिसका नाम कथली नदी पड़ा। कई पीढ़ियां इसका पानी पीकर परवान चढ़ीं। किसानों ने खेतों की सिचाई करके अन्न उगाया और लाखों लोगों का पेट भरा। ऐसी मान्यता है कि कथली नदी किसी बुजुर्ग के आशीर्वाद की देन थी।
दूर दूर से सैलानी यहां स्नान करने आते थे और अपनी मुरादें यहां पाते थे। इसके तट पर दो धार्मिक समागम मजार- मंदिर नदी के पूजनीय और पवित्रता के इतिहास के गवाह हैं, जहाँ पर वार्षिक मेले पिछले कई वर्षों से सम्पन्न होते आ रहे हैं।
किन्तु स्थानीय प्रशासन की गैर जिम्मेदारी और रेत की तस्करी वाले मानव समाज के लालच ने इस ऐतिहासिक प्रकृति धरोहर को लगभग खो ही दिया है। समाज के विकास के नाम पर इसके किनारों को बर्बाद कर दिया गया। गैर तकनीक खुदाई ने इसके मूल रूप और सुंदरता को नष्ट कर दिया है।
कभी स्वच्छ जल से कल-कल करती इसकी धारा हजारों लोगों को सुबह से शाम तक अपने में समेटे रखती थी, किन्तु आज यह विशाल धरोहर नाले और पोखर के स्वरुप में बदल चूकि है जिसमे बमुश्किल ही किसी जानवर या पक्षी को पानी नसीब होता है  किन्तु न प्रशासन को इसकी फ़िक्र है और न समाज के बुद्धजीवियों को।
पाठक राकिब खान की कलम से🖋️
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।