सरकार समझे युवाओं और सेना का आक्रोश 

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लेखक-सनत कुमार जैन

अग्निपथ के अग्निवीर युवा सड़कों पर पत्थर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।  ट्रेनों  एवं बसों में आग लगाकर हिंसक प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। सरकार पिछले 4 दिनों से युवाओं के इस हिंसक आंदोलन को जिस हल्केपन से ले रही है। उससे युवा और भड़क रहे हैं। 1975 में युवाओं का आंदोलन इसी तरह से शुरू हुआ था। परिणामस्वरुप तत्कालीन सरकार को आपातकाल लगाने विवश होना पड़ा था। उस समय हालात इतने गंभीर नहीं थे, जितने आज हैं।
2014 के चुनाव प्रचार में वन पेंशन वन रैंक, सेना की शूरवीरता, 2 करोड़ युवाओं को प्रतिवर्ष नौकरी देने के लोकलुभावन नारों ने भाजपा के लिए युवाओं ने विजय पथ तैयार किया था। आज वही युवा अग्निपथ के अग्निवीर के विरोध में हिंसक आंदोलन के साथ सड़कों पर है। सरकार सत्ता की ताकत में चूर होकर वास्तविक स्थिति को नजर अंदाज कर रही है। पिछले वर्षों में करोड़ों युवाओं ने स्नातक एवं परास्नातक की परीक्षा पास कर प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से पिछले 8 वर्षों से नौकरी के लिए बड़ी तैयारी की थी। पिछले 8 वर्षों में जो भी सरकारी पद खाली हुए हैं, उन्हें भरा नहीं गया। सेना, बैंक और रेलवे हर साल बहुतायत में भर्तियां करते थे।  पिछले 8 वर्षों से यह भी लगभग बंद है। केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ – साथ सार्वजनिक संस्थानों में लाखों पद रिक्त हैं। महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त युवा सरकारी नौकरी पाने की उम्र से बड़े हो रहे हैं। जिन युवाओं को आशा थी, उनके द्वार भी सरकारी नौकरी में बंद हो गए हैं। ऐसी स्थिति में युवाओं का आक्रोशित होना स्वाभाविक भी है। सेना में पिछले दो वर्षों मे जो परिक्षाएं हुई, उनमें नियुक्ति नहीं हुई। इसी बीच सरकार ने अग्निपथ योजना में 4 वर्ष के लिए सेना में अग्निवीर की नियुक्ति करने का ऐलान कर दिया। इससे बेरोजगार युवा बुरी तरह भड़क गए हैं।
पिछले 75 वर्षों में भारतीय सेना में कार्यरत सैन्य जवानों एवं अधिकारियों के बच्चे परम्परागत रुप से सेना की नौकरी में जाते हैं। पूर्व सैनिकों के परिवार में देश सेवा एवं शौर्य को लेकर जो गर्व की भावना रहती थी। अग्निपथ योजना से सबसे ज्यादा प्रभावित सेना के परिवार भी होने जा रहे हैं। इनके घर के बच्चे सेना की नौकरी में जाने का बचपन से ही मन बना लेते हैं। ऐसी स्थिति में सैन्य परिवारों में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। भारत में इस समय लगभग 30 करोड़ उच्च शिक्षित युवा बेरोजगार हैं। पकोड़ा तलने एवं बैंक से कर्ज लेकर रोजगार शुरू करने की तमाम कोशिशों के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिल सका। उच्च शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरी, कारपोरेट कंपनियों, बैंकिंग, रेलवे सेवाओं में नियुक्ति नहीं होने से युवाओं का जो सपना था। वह सपना अब टूट गया है, जिससे बेरोजगार युवा भड़क गए हैं। अग्निपथ योजना ने भड़के हुए युवाओं के आक्रोश पर घी डालकर ज्वाला को भड़का   दिया है। बेरोजगार उच्च शिक्षित युवाओं को मनाने – पथाने की जगह अर्नगल बयानों से उन्हें भड़काया जा रहा है। 22 वर्ष से अधिक के युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। क्योंकि अब उनका कोई भविष्य नहीं रहा।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।