- जमीनी कार्यकर्ता मंत्रियों और विधायकों से नाराज, आज कोर ग्रुप की बैठक में रिपोर्ट पर होगा मंथन
- ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, मालवा-निमाड़ और विंध्य में सबसे ज्यादा गुस्सा
MP News in Hindi। मप्र में संघ, सरकार और भाजपा संगठन की सर्वे रिपोर्ट के बाद अब 14 वरिष्ठ नेताओं की रिपोर्ट ने सरकार और संगठन की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार जमीनी कार्यकर्ता सत्ता-संगठन के साथ ही मंत्रियों और विधायकों से नाराज हैं। यही नहीं जनता भी न सरकार से खुश है और न तंत्र से। इस रिपोर्ट पर मंथन करने के लिए मंगलवार को कोर ग्रुप की बैठक बुलाई गई है। बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद रणनीति बनाई जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड़, मालवा-निमाड़ और विंध्य में सबसे ज्यादा गुस्सा नजर आया है।
गौरतलब है की पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का मनाने और जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए संगठन ने 14 दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी। नरेंद्र सिंह तोमर को इंदौर नगर, ग्रामीण, भोपाल नगर, ग्रामीण तथा सीहोर, कैलाश विजयवर्गीय को जबलपुर नगर, ग्रामीण, रीवा, सतना तथा धार, गोपाल भार्गव को छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, माखन सिंह को गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, श्योपुर, कृष्ण मुरारी मोघे को सागर, दमोह, विदिशा, रायसेन, प्रभात झा को खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, डॉ. सत्यनारायण जटिया को रतलाम, तथा मंदसौर-नीमच, फग्गन सिंह कुलस्ते को झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, राकेश सिंह को नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, मंडला, डिंडौरी, सुधीर गुप्ता को ग्वालियर नगर, ग्रामीण, मुरेना तथा भिंड, लाल सिंह आर्य को छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, कटनी, जयभान सिंह पवैया को उज्जैन नगर, ग्रामीण, देवास, शाजापुर, आगर, राजेंद्र शुक्ल को सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और माया सिंह को राजगढ़, दतिया, नरसिंहपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
शिवकुमार के पास पहुंची रिपोर्ट
भाजपा सूत्रों का कहना है की संघ के माध्यम से आलाकमान के पास सत्ता और संगठन की सारी रिपोर्ट पहुंच रही है। इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भाजपा जमीनी नेता, संगठन और सरकार से खासे नाराज चल रहे हैं। ऐसे में संकट के समय हमेशा पार्टी के साथ रहने वाले, मतदाताओं में प्रभाव रखने वाले, पार्टी के निष्ठावान और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को आलाकमान ने गंभीरता से लिया है।
जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है। वे क्यों नाराज हैं और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए क्या किया जाए आदि के मद्देनजर 14 नेताओं को फीडबैक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। खास बात यह है कि शिवराज सरकार से सिर्फ एक मंत्री गोपाल भार्गव को यह जिम्मेदारी दी गई है। उनके अलावा अनुभवी नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन नेताओं को उनका क्षेत्र छोड़कर अन्य जिलों की जिम्मेदारी इसलिए दी गई थी, ताकि असंतुष्ट खुलकर बात कर सकें। यही वजह है कि इन नेताओं ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्षों, पार्टी की जिला इकाइयों के पूर्व अध्यक्षों, पूर्व विधायकों, पूर्व संसद सदस्यों और अन्य लोगों के साथ वन-टू-वन चर्चा की है।
आज होगा फीडबैक रिपोर्ट पर मंथन
भाजपा सूत्रों का कहना है कि सोमवार को सभी 14 नेताओं ने रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवकुमार को सौंप दी है। इसके बाद प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक मंगलवार को भोपाल में बुलाई गई है। इसमें नेताओं की फीडबैक रिपोर्ट पर मंथन होगा।
इस बैठक में जो फैसला होगा, उसके आधार पर एक्शन होगा। अभी तक इन नेताओं की जितनी भी बैठकें हुई हैं, उनमें मुख्य रूप से मंत्रियों और विधायकों द्वारा उपेक्षा करने की शिकायतें हो रही हैं। सबसे ज्यादा नाराजगी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले जिलों में हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड़, मालवा-निमाड़ और विंध्य में पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है।
भारी न पड़ जाए नाराजगी
बताया जाता है कि पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की नाराजगी सामने आने के बाद अब सत्ता और संगठन नई रणनीति बनाकर मैदान में उतरेंगे। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुद्दे, दावों, दलबदल जैसे विषयों पर चर्चा में यह निचोड़ निकलता है कि लोग सरकार से नाराज नहीं हैं, उन्हें शिकायत है सरकारी मशीनरी से और इसे घेरे रहकर अपने काम कराने वाले सत्ता समर्थकों से।
दरअसल पिछले 3 साल से विकास की बातें तो खूब हुई हैं, लेकिन काम नहीं हुआ है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि चुनावी साल में भी कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें हमारी सरकार जैसे इमोशन का अभाव है, जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि चुनावी जंग में भाजपा को मैदानी जमावट में मुश्किलें आ सकती हैं।
भय्याजी जोशी ने भी टटोली नब्ज
भाजपा के 14 दिग्गज नेताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने राजधानी भोपाल में पिछले तीन दिनों से समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों से संवाद कर सत्ता और संगठन की नब्ज टटोल रहे हैं। महिलाओं का कार्यक्रम मातृ शक्ति संवाद और प्रौढ़ लोगों के सम्मेलन में भी शामिल हुए।
प्रबुद्धजनों से भी बातचीत की। इससे पहले जोशी नर्मदांचल यात्रा के जरिए नर्मदा किनारे के क्षेत्र के लोगों से भी संवाद कर चुके हैं। इंदौर में संघ के प्रमुख नेताओं के साथ भाजपा नेताओं की बैठक के ठीक बाद जोशी के भोपाल प्रवास से राजनीतिक क्षेत्र में सरगर्मी बढ़ गई है।
जोशी वैसे तो भोपाल में आरोग्य भारती के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे लेकिन पिछले तीन दिनों के दौरान समाज के कई वर्गों के साथ उन्होंने संवाद किया। इस कवायद को चुनाव से पहले नब्ज टटोलने जैसा माना जा रहा है।