सदभावना पाती संवाददाता
Indore News in Hindi। स्वच्छता में देश का नंबर वन शहर इंदौर जिसका स्मार्ट सिटी का ऑफिस इंदौर के नेहरू पार्क में स्थित है अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। शहर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध नेहरू पार्क में इन दिनों जगह जगह कबाड़ के ढेर लगे हुए हैं लेकिन न तो उद्यान अधिकारी और न ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों, किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है या फिर देखने के बाद भी कोई देखने को तैयार नहीं है। यही नहीं इस पार्क में स्मार्ट सिटी का दफ्तर भी लगता है जिसमें रोजाना सभी अधिकारियों का जमावड़ा दिन भर लगा रहता है।
कबाड़ का पार्क बना इंदौर का नेहरु पार्क
इंदौर का नेहरु पार्क इन दिनों कबाड़ का पार्क हुआ है पार्क में स्वीमिंग पुल के पास ही बगीचे से निकला कबाड़ का ढेर पिछले कई माह से लगा हुआ है लेकिन इस तरफ किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है जबकि यहां पर स्मार्ट सिटी का ऑफिस भी है और उद्यान विभाग की नर्सरी भी जिसमें रोजाना उद्यान विभाग के प्रभारी का आना जाना भी लगा रहता है। बावजूद इसके उनको पार्क की सुंदरता मे लगे यह बदनुमा दाग दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस पार्क में दिनभर घूमने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं जिन पर पार्क की बदहाली का बुरा असर पड़ता है इसके साथ ही जहां पर पुरानी नर्सरी थी वहां पर भी इसी प्रकार का कबाड़ और भंगार बिखरा हुआ है जो देखने में बड़ा ही भद्दा लगता है।
बच्चों के झूले और टॉय भी हुए बेकार – Nehru Park in Indore
पार्क में कुछ समय पहले बच्चों के लिये झूले लगे हुए थे जिस पर घुमने आने वाले बच्चे झूला झूल कर आनंद लिया करते थे और मस्ती करते थे लेकिन स्मार्ट सिटी के चल रहे काम के चलते इन झूलों को नष्ट कर दिया गया और उसका कबाड़ उसी जगह पर बिखरा पड़ा है, जब बच्चे यहां पर घूमने के लिये आते और झुले का आनंद लेने के लिये उक्त स्थान पर जाते हैं तो उनका दिल टूट सा जाता है क्योंकि यहां पर पहुंचने के बाद उनको टूटे हुए झुले और बिखरे पड़े टॉय देखते हैं।
नेहरु पार्क में ही बंद पड़ी है मशीन
पार्क में एक मशीन भी बंद पड़ी हुई है इस मशीन से पार्क के बगीचे में दवाइयों का छिड़काव किया जाता था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण मशीन खराब हो गई और काफी समय से बगीचे में ही रखी हुई है। यह जनता के रुपये की बर्बादी है जिसे अधिकारी बर्बाद कर रहे हैं। अब देखना है विभाग इन पर क्या कार्रवाई करता है और कब इस पार्क को कबाड़ से मुक्ती मिलती है।
इस विषय पर जब उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया इससे पहले भी उनसे कंपोजिट पिट के लिये बात करनी चाही थी तब भी उन्होंने फोन नही उठाया था। फ़ोन नहीं उठाना इस अधिकारी की आदत में शुमार है, किसी का फोन नहीं उठाते हैं और न किसी बात की जवाबदारी लेना उचित समझते हैं।