-
मामले को दबाए रखने की मासूमियत, डर या वजह कुछ और ?
गौरव चतुर्वेदी
सदभावना पाती भोपाल। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा ने हाईकोर्ट के एक मामले में हास्यास्पद जवाब दे दिया। जब उनसे हाईकोर्ट में चल रहे एक प्रकरण के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता। इसे आहुजा की मामले को दबाए रखने की मासूमियत माने, घोटालेबाज गुजरातियों का डर या फिर आहूजा की अज्ञानता या आर्थिक लाभ का लालच ? सोचने पर मजबूर कर रहा है।
मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में निर्माणाधीन जिला कोर्ट के नये भवन के टेंडर में गड़बड़ियों को लेकर उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ में प्रकरण विचाराधीन है। आहुजा से पूर्व में रहे लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने गड़बड़ियों की शिकायत प्राप्त होते ही मातहत अधिकारियों को गड़बड़ी करने वाली फर्म के साथ अनुबंध करने के निर्देश दे दिए।
न्याय के2 मंदिर में भ्रष्टाचार को लेकर सदभावना पाती ने जब इस मामले को उठाया तो सुखबीर सिंह ने शिकायत नहीं देखे जाने की बात कहते हुए यह कह दिया कि वर्तमान प्रमुख सचिव से इस बारे में बात कीजिए। जब वर्तमान प्रमुख सचिव डी पी आहुजा से इस शिकायत को लेकर बात की तो उन्होंने यह कह दिया कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता आप मुझसे पॉलिसी मैटर पर बात कीजिए। जब उनसे यह पूछा कि न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है तो उन्होंने कहा कि इस बारे में भी मुझे नहीं पता।
mp news in hindi
यहां यह बता दें कि मामला लगभग 225 करोड़ के टेंडर का है, जिसे आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने गलत दस्तावेज लगाकर हासिल किया है। हाईकोर्ट में याचिका कर्ता ने मध्यप्रदेश शासन के विरुद्ध याचिका दाखिल की है। याचिका में प्रथम प्रतिवादी के तौर पर विभाग के प्रमुख सचिव को शामिल किया गया है। ऐसी परिस्थिति में यह संभव ही नहीं है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं हो। शासकीय नियम प्रक्रिया के अनुसार भी विभाग के प्रमुख सचिव विभिन्न न्यायालयों में विभिन्न स्तरों पर लंबित प्रकरणों एवं निर्णयों की जानकारी लेने के लिए विभागीय समीक्षा करते हैं।
इस समाचार को सदभावना पाती निरंतर उठा रहा है, पूर्व में आखिर प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने क्यों अनदेखी की 225 करोड़ के ठेके में आपत्ति और न्याय के मंदिर की नींव में ही कर गए घोटाला शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए थे।