सरकार स्पष्ट करे — सवर्ण जातियों में ऊँचाई का आधार क्या है?

डॉप्रियांश मालवीय
By
डॉप्रियांश मालवीय
Mai ek पेशेवर डॉक्टर हु ओए मुझे कविता और सायरी ओए लख लिखना बहुत अच्छा लगता है सद्भावना पाती न्यूज को अपना योगदान देना चाहता हु...
3 Min Read

📍 ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्गों को ‘उच्च जाति’ कहकर हर सरकारी सुविधा से वंचित किया जा रहा है – यह कब तक चलेगा?

दिल्ली, आज जब भारत प्रगति और समावेश की ओर बढ़ रहा है, तब एक वर्ग ऐसा भी है जो ऐतिहासिक त्याग और सांस्कृतिक उत्तरदायित्व के बावजूद ‘ऊँचाई’ के नाम पर वंचना और उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समाज — जिन्हें परंपरागत रूप से ‘सवर्ण’ कहा जाता है — अब यह सवाल उठा रहे हैं कि:

आखिर किस आधार पर उन्हें ‘ऊँचा’ मानकर छूटों से वंचित किया जा रहा है?
वर्तमान सामाजिक संरचना में वास्तविकता कुछ और है:
मंदिरों में काम कर रहे पुजारी नाममात्र वेतन पर मंदिर समितियों के अधीन जीवन बिता रहे हैं।
व्यापार हर जाति-वर्ग द्वारा किया जा रहा है — यह अब किसी की विशेषता नहीं रही।
सेना व पुलिस जैसी सेवाओं में सभी जातियाँ समान रूप से सम्मिलित हैं — देशरक्षा कोई जातिगत पहचान नहीं।

फिर भी, इन वर्गों को ‘उच्च जाति’ मानकर किसी भी प्रकार के आरक्षण, आर्थिक छूट, परीक्षा में सुविधा, या छात्रवृत्ति से वंचित रखा जाता है।

इतिहास गवाही देता है:
ब्राह्मणों ने मुगलों के अत्याचारों के बीच वेद-पुराणों को कंठस्थ कर अगली पीढ़ी तक पहुंचाया।
क्षत्रियों ने धर्म व राष्ट्र रक्षा के लिए वनवास झेला, घास की रोटियाँ खाईं और जीवन बलिदान किया।
वैश्य समाज ने देशहित में सम्पत्ति दान की, यहाँ तक कि संतान उत्पन्न न करने का संकल्प भी लिया।

क्या यह “ऊँचाई” का प्रमाण है या त्याग का इतिहास?
आज के युवा सवाल कर रहे हैं:
क्यों उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में कोई रियायत नहीं मिलती?
क्यों वे कम अंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों से पीछे रह जाते हैं, जबकि उन्होंने अधिक परिश्रम किया होता है?

क्यों आत्महत्या की घटनाएँ इन वर्गों में बढ़ रही हैं, जिनका समाधान संविधान को करना था?

हमारी मांग सीधी और सुस्पष्ट है:
❖ हमें विशेषाधिकार नहीं चाहिए।
❖ हमें सिर्फ बराबरी का अवसर चाहिए।
❖ सरकार और संविधान यह स्पष्ट करें कि
“सवर्ण” जातियों में ऊँचाई का आधार क्या है?
उच्च जाति का तमगा – सम्मान या दंड?

यदि देशभक्ति, धर्मरक्षा और सांस्कृतिक उत्तरदायित्व निभाना “ऊँचाई” का मापदंड है, तो यह समाज उस ऊँचाई पर गर्व करता है।

लेकिन उस आधार पर सरकारी योजनाओं से वंचित रहना – यह कैसा सामाजिक न्याय है?
✦ एकजुटता की आवश्यकता
आज का समय माँग करता है कि सवर्ण समाज एकजुट होकर लोकतांत्रिक ढंग से अपनी बात को सरकार, समाज और संविधान तक पहुँचाए। यह प्रेस विज्ञप्ति इसी प्रयास की एक कड़ी है।

📣 हम विशेष नहीं, बराबरी चाहते हैं।
📣 सरकार जवाब दे — ऊँचाई का आधार क्या है?

जारीकर्ता:

डॉ.प्रियांश मालवीय
दिल्ली ,9555200400
[drmalviyapriyansh@gmail.com]

Share This Article
Mai ek पेशेवर डॉक्टर हु ओए मुझे कविता और सायरी ओए लख लिखना बहुत अच्छा लगता है सद्भावना पाती न्यूज को अपना योगदान देना चाहता हु जो मुझे अच्छा पब्लिक को रीझा सकू।