हुकुमचंद मिल के जंगल को बचाने के लिए जनजागरूकता अभियान

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इंदौर। हुकुमचंद मिल परिसर की 42 एकड़ हरित भूमि और उस पर खड़े लगभग पाँच हजार पेड़ों को बचाने के लिए कल पर्यावरण प्रेमियों ने मिल परिसर में जनजागरूकता अभियान और टिफ़िन पार्टी का आयोजन किया। यह हरित क्षेत्र, जिसे शहर का “कुदरती जंगल” और “हरित फेफड़े” कहा जाता है, वर्षों से जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन का महत्त्वपूर्ण केंद्र रहा है।

मौजूदा प्रस्ताव के अनुसार इस क्षेत्र में कंक्रीट ढांचे बनने की योजना है, जिसे लेकर पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे जंगल और वन्य जीवों को गंभीर क्षति पहुँचेगी। मंगलवार सुबह 10 बजे से शुरू हुए अभियान में शहर के बुद्धिजीवी, पर्यावरण कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी शामिल हुए। प्रतिभागियों ने आसपास के बाजार और बस्तियों में लोगों से संवाद कर जंगल का भ्रमण कराया, ताकि वे इसकी हरियाली और पर्यावरणीय महत्ता को प्रत्यक्ष देख सकें।

पर्यावरण प्रेमियों ने मिल परिसर में चलाया जनजागरूकता अभियान

आयोजकों ने स्पष्ट किया कि विकास के नाम पर रोज़गार सृजन की अफवाह फैलाई जा रही है, जबकि योजना ऊँची इमारतों के निर्माण की है और प्रत्यक्ष रोज़गार की संभावना नगण्य है। बैठक में सुझाव आया कि रविवार जैसे अवकाश के दिन बड़े पैमाने पर जनसंवाद आयोजित किए जाएँ और निर्माण कार्य के लिए शहर के अन्य खाली भूखंडों पर विचार किया जाए, जिससे पेड़ों की कटाई टाली जा सके।

अभियान के अंत में बाजार और सब्ज़ी मंडी से होकर रैली निकाली गई और लोगों से अपील की गई कि वे इस हरित क्षेत्र के संरक्षण में सहयोग करें। सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने टिफ़िन साथ लाकर मिल प्रांगण में सामूहिक भोजन किया और शहर की हरियाली बचाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में उपस्थित रहे श्याम सुंदर यादव, पद्मश्री भालू मोंडे, डॉ. ओ. पी. जोशी, डॉ. शंकर लाल गर्ग, संदीप खानविलकर, डॉ. दिलीप कुमार, अभय जैन, अजय लागू, अरविंद पोरवाल, हरीश मेनारिया, रुद्रपाल यादव, अर्जुन रिच्छारिया, शैला शिंत्रे, शैली राणावत, शबाना पारेख, आभा अग्रवाल, प्रणीता दीक्षित आदि।

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