इंदौर। इंदौर के पूर्वी क्षेत्र (पिथमपुर से क्षिप्रा तक) की उपजाऊ भूमि अधिग्रहण के विरोध में शनिवार को खुडैल स्थित चन्द्रवंशी खाती समाज धर्मशाला में किसानों की महापंचायत आयोजित हुई। यह कार्यक्रम भारतीय किसान यूनियन (सूर्यवंशी) के नेतृत्व में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर एवं मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम खुडैल श्री नीरज खरे को ज्ञापन सौंपा।
“खाद्यान्न सुरक्षा पर संकट”
महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सपना भरोसिया ने कहा कि देश में पहले से ही उपजाऊ भूमि सीमित है। यदि इंदौर क्षेत्र की अति उपजाऊ भूमि विकास के नाम पर लगातार समाप्त होती रही, तो प्रदेश और देश की खाद्यान्न सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
“जैविक खेती की भूमि छीनी जा रही”
एनओपी प्रमाणित जैविक किसान संतोष सोमतिया ने बताया कि वे शारीरिक रूप से दिव्यांग होते हुए भी जैविक खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपील कर रहे हैं और सरकार करोड़ों रुपये इसके लिए खर्च भी कर रही है। इसके बावजूद उनकी प्रमाणित जैविक भूमि का बड़ा हिस्सा प्रस्तावित पूर्वी आउटर रिंग रोड में अधिग्रहित किया जा रहा है, जबकि शहर को इस सड़क की आवश्यकता ही नहीं है।
“पीढ़ियों की मेहनत पर कुठाराघात”
तिल्लौर निवासी लखनलाल पटेल ने कहा कि हमारी कई पीढ़ियां इस भूमि को उपजाऊ बनाने में लगी हैं। यहां से किसान साल में 3–4 फसलें लेकर न केवल प्रदेश की खाद्यान्न सुरक्षा को मजबूती देते हैं बल्कि देश की GDP में भी योगदान करते हैं। सरकार औने-पौने दामों पर यह भूमि छीनने की कोशिश कर रही है।
“पूर्वी क्षेत्र ही क्यों?”
फरसपुर निवासी मनोज पटेल ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र से पहले ही AB रोड, रिंग रोड, बायपास, इंदौर-बेतुल रोड, इंदौर-खंडवा रोड, इंदौर-मंडलेश्वर रोड, इंदौर-बुधनी रेल लाइन और हाईटेंशन लाइनों जैसी परियोजनाओं में लाखों एकड़ उपजाऊ जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि विकास का ठेका केवल पूर्वी क्षेत्र के किसानों को ही क्यों मिला है? यदि भूमि अधिग्रहण करना ही है, तो किसानों को व्यावहारिक बाजार भाव का चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए, अन्यथा किसान एक इंच भी जमीन नहीं देंगे।
“किसानों की कीमत पर उद्योगपतियों को लाभ”
आम्बाचंदन के जीतेन्द्र पाटीदार ने आरोप लगाया कि सरकार एक ओर करोड़ों रुपये खर्च कर माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना से पूर्वी क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था कर रही है और दूसरी ओर उन्हीं खेतों में 260 फीट चौड़ी सड़क बनाने जा रही है। यह योजना किसानों के बजाय उद्योगपतियों और व्यापारियों के हित में प्रतीत होती है।
किसानों की प्रमुख मांगें
– उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण तत्काल रोका जाए।
– आउटर रिंग रोड की योजना रद्द की जाए या वर्तमान बायपास से 20–25 किमी दूर बनाई जाए।
– सड़क का अलाइनमेंट ऐसा हो जिसमें अधिकतम सरकारी, बंजर और अनुपजाऊ भूमि शामिल हो।
– अधिग्रहित भूमि का मुआवजा व्यावहारिक खरीदी-बिक्री भाव से चार गुना दिया जाए।
प्रशासन का आश्वासन
एसडीएम खुडैल श्री नीरज खरे ने मौके पर ज्ञापन स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एनएचएआई के साथ बैठक कर 161 किमी वाले अलाइनमेंट सर्वे पर चर्चा की जाएगी और योजना केवल किसानों को संतुष्ट करने के बाद ही लागू की जाएगी।