नवरात्रि का सातवां दिन – मां कालरात्रि देवी

Dr. Gopaldas Nayak
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Dr. Gopaldas Nayak
I am currently working in Government College Khandwa, I have been doing teaching work for the last several years and also writing work in various genres
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डॉ. गोपालदास नायक, खंडवा

नवरात्रि का सातवाँ दिन माँ कालरात्रि की उपासना के लिए समर्पित है। माँ कालरात्रि का स्वरूप उग्र और संहारकारी है, किंतु उनका मूल भाव भक्तों को निर्भय करना और दुष्ट प्रवृत्तियों का नाश करना है। उनका बीज मंत्र है— ॐ कालरात्र्यै नमः॥

(अर्थात— हे माँ कालरात्रि, आपको नमन है। आप अज्ञान और भय के अंधकार को नष्ट करने वाली शक्ति हैं।) यह मंत्र साधक को आंतरिक साहस, निडरता और नकारात्मक प्रवृत्तियों से मुक्ति की शक्ति प्रदान करता है।

दार्शनिक दृष्टि से माँ कालरात्रि हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में भय और अंधकार का अस्तित्व केवल तब तक है, जब तक हम अपनी आंतरिक शक्ति को नहीं पहचानते। वे याद दिलाती हैं कि हर अंधकार के पीछे एक नई भोर छिपी होती है, और साहस ही वह दीपक है जो भय को मिटा सकता है।

आज के सामाजिक परिवेश में माँ कालरात्रि का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आधुनिक समाज हिंसा, अन्याय, असमानता और नकारात्मक प्रवृत्तियों से जूझ रहा है। लोग भय और स्वार्थ के कारण मौन दर्शक बने रहते हैं। ऐसे समय यह देवी हमें प्रेरित करती हैं कि हम भीतर का साहस जगाएँ और बुराई के विरुद्ध डटकर खड़े हों।

नवरात्रि का सातवाँ दिन यह स्मरण कराता है कि पूजा और मंत्रजप तभी सार्थक हैं, जब हम भय और अंधकार से ऊपर उठकर सत्य, न्याय और सकारात्मकता का मार्ग अपनाएँ। माँ कालरात्रि का वास्तविक संदेश है— निर्भय रहो, और अंधकार को प्रकाश में बदलो।

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