इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) में OPD पर्ची बनाने की आभा आईडी आधारित सुविधा पिछले कई महीनों से बंद है। परिणामस्वरूप, मरीजों को OPD में पर्ची बनवाने के लिए लंबी कतारों और समय की बर्बादी का सामना करना पड़ रहा है।
शिकायतकर्ता दर्शना चोपड़ा द्वारा 9 जून 2025 को लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को दर्ज कराई गई शिकायत (क्रमांक: 32764642) में बताया गया कि जब से आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA ID) के माध्यम से डिजिटल पर्ची बनाने की सुविधा बंद हुई है, तब से पर्ची बनवाने में ज़्यादा समय लग रहा है। इतना ही नहीं, मरीजों का हेल्थ रिकॉर्ड भी डिजिटलीकरण न होने से सुरक्षित नहीं हो पा रहा है।
शिकायत पर 18 जून 2025 को आए समाधान में चौंकाने वाला खुलासा हुआ –
एमवाय अस्पताल को HIMS (हॉस्पिटल इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम) सॉफ्टवेयर देने वाली कंपनी ITSC को 1.77 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया गया है, जिसके चलते कंपनी ने सेवाएं देना बंद कर दी हैं।
यह एक प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण है: एक तरफ केंद्र सरकार डिजिटल हेल्थ मिशन को सफल बनाने के लिए ज़ोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर महज 1.77 लाख रुपये के भुगतान में देरी की वजह से एक महत्वपूर्ण योजना ठप है।
आभा योजना क्या है?
ABHA (Ayushman Bharat Health Account) एक यूनिक हेल्थ आईडी है, जिसे भारत सरकार की डिजिटल हेल्थ मिशन योजना के तहत लागू किया गया है। इसके माध्यम से नागरिकों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड एकीकृत रूप से डिजिटल रूप में स्टोर किया जाता है। इससे किसी भी अस्पताल में इलाज के दौरान तत्काल जानकारी उपलब्ध होती है और रोगी का इलाज तेज़, सटीक और पारदर्शी हो पाता है।
योजना बंद होने से नुकसान:
मरीजों की लंबी कतारें
मैनुअल पर्ची बनने में समय की बर्बादी
डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड का नुकसान
आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के लाभ से वंचित होना
कर्मचारियों की कार्यकुशलता प्रभावित
शिकायत के जवाब में बताया गया है कि संबंधित बकाया भुगतान हेतु म.गां. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, इंदौर को 11 जून 2025 को पत्र भेजा गया है। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या जनता की सुविधा के लिए जरूरी योजनाओं को ऐसे रुका जाना चाहिए?
केंद्र सरकार की डिजिटल हेल्थ योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए न केवल टेक्नोलॉजी बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता है। महज 1.77 लाख रुपये की राशि के अटका रहने से हजारों मरीजों को परेशानी उठाना पड़ रहा है। यह विषय सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा है।