(लेखक-विनोद तकियावाला)
नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा सब कुछ देश में एक समान करने की है,लेकिन इसमें सफलता नहीं के बराबर मिल पाई है। पेट्रोल—डीजल व ईंधन गैस की कीमतें न केवल आसमान छू रही हैं, बल्कि उनमें असमानता भी कम नहीं है. राजधानी दिल्ली से नोएडा में घुसते ही कीमतों का बड़ा फर्क दिख जाता है।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों को नसीहत दी कि वे चाहें तो पेट्रोल—डीजल पर अपने राज्य की वैट कम कर उनकी कीमतों में कमी ला सकते हैं।
इसे गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों पर लगाए गए एक निशाने के नजरिए से भी देखा जा रहा है,जबकि यह विपक्ष की निगाह में राजनीतिक पैंतरेबाजी ‘ व सिमायत के सिवाय और कुछ नहीं है।
प्रधानमंत्री के द्वारा विगत दिनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ऑनलाइन बैठक में पेट्रोल और डीजल से वैट नहीं घटाने वाले सात राज्यों के नाम तक गिनाए।
उन पर केंद्र सरकार द्वारा करीब पांच माह पहले कम किए गए टैक्स के फायदे से नागरिकों को वंचित रखने का आरोप भी लगाया ।
इस संवाद के जरिए पीएम मोदी ने जनता के साथ जुड़ने और उन्हें केंद्र सरकार का एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की।
सवाल है कि यह नौबत क्यों है? पीएम के मन के मुताबिक राज्य सरकारें जनता की जेब से पैसे निकाल कर अपना राजकोष भरने की कोशिश में क्यों रहती है?
उल्लेखनीय है कि नम्बर 2021 में ईंधन से उत्पाद शुल्क घटा लिया था और राज्यों से भी वैट टैक्स को लेकर कटौती की अपील की थी।
कुछ राज्यों ने तो आगे बढ़कर करों में कटौती कर दी,लेकिन कई राज्य ऐसा नहीं कर पाए.
माना कि पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत करते हुए किसी की व्यक्तिगत आलोचना नहीं करने की बात कही,लेकिन महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल, तेलंगाना,आंध्रप्रदेश, केरल,झारखंड और तमिलनाडु से वैट कम करने और स्थानीय लोगों को लाभ देने का अनुरोध जरूर किया.
वे सभी राज्या गैर भाजपा शासित राज्य हैं. पीएम के ‘राष्ट्र हित’ में पेट्रोल-डीजल पर से वैट घटा कर आम आदमी को राहत देने की अपील पर थोड़ी ही देर में सियासत शुरू हो गई।विभिन्न राज्यों से विपक्षी नेताओं के बयान सामने आने लगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पेट्रोलियम उत्पादों से वैट घटाने की अपील पर करारा जवाब दे डाला. वह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस से भिड़ गए. फडनवीस ने भी उद्धव के बयान पर जबरदस्त पलटवार किया.
यह सभी जानते हैं कि राज्यो के पास वैट टैक्स कम करने का मतलब उनके राजस्व में कमी का आना है।जिस कारण राज्य सरकारों ऐसा नहीं किया. प्रधानमंत्री के द्वारा दिये गये इस बयान पर विपक्षी भला कहां पीछे रहने वाला था. उन्होंने अपना मजबूत पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यो के हिस्से का जीएसटी की मोटी रकम केन्द्र सरकार के पास बकाया है।
उधर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 26 लाख करोड़ रुपये कमाए,जो उन्हों कच्चे तेल की कीमतों आने वाली कमी से मिले. केंद्र ने इसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि आपने राज्यों को जीएसटी का हिस्सा समय पर नहीं दिया ऊपर से हमें राज्यों से वैट को और कम करने के लिए कहते हैं।जब कि उन्हें स्वंय केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करना चाहिए और बाद मै फिर दूसरों को वैट कम करने के लिए सलाह देनी चाहिए।
पीएम मोदी के द्वारा उठाये गये इस मुद्दे के बाद एक बार फिर से डीज़ल-पेट्रोल पर वेट पर बहस की राजनीति शुरू हो गयी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी इसी के साथ शुरू हो गया है।
डीएमके सांसद और महाराष्ट्र सीएम ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है. डी एम के सांसद टी के एस एलनगोवन ने पेट्रोल पर वैट घटाने को लेकर केंद्र को जवाब देते हुए कहा कि पीएम मोदी सीधे तौर पर विपक्षी दलों की ओर से शासित राज्यों को पेट्रोल से वैट घटाने को कह रहे हैं।
पी एम भाजपा शासित राज्यों गुजरात और कर्नाटक की राज्यों से टैक्स कम करने को नहीं कहते हैं।केंद्र सरकार द्वारा इकट्ठा किया गए टैक्स की मात्रा इन राज्यों के द्वारा इकट्ठा किए गए टैक्स की मात्रा का तीन गुना है.
उन्होने कहा कि केंद्र सरकार एक ओर 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात तो करती है,लेकिन संकट के समय में पी एस यू बेची जा रही है।महाराष्ट्र सी एम की ओर से राज्यों से पेट्रोल डीजल पर वैट घटाने को लेकर कहा गया राज्य की जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार की ओर से नेचुरल गैस पर टैक्स राहत दी गई है.
इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस पर वैट को 13.5फीसदी से घटाकर महज 3 फीसदी कर दिया है।पेट्रोल -डीजल व ईंधन की राजनीति के पैंतरेबाजी व प्रधान मंत्री की अपील पर केन्द्र सरकार की कमान केंद्रीय मंत्री हरदीपपुरी ने संभाले हुए हैं.
उनका कहना है कि रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें 19.56 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 130 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची है।केंद्र ने तो अपनी जिम्मेदारी लेते हुए उत्पाद शुल्क में कमी कर निभाई है।अब राज्यों की बारी है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा देश में कोविड महामारी के बाद भी केंद्र सरकार जनता के लिए लगातार प्रयास कर रही है।अब राज्य आगे आएं और इसकी जिम्मेदारी लें.
उन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ में कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है।पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के दामों में सिर्फ 30 फीसदी ही बढ़ोत्तरी हुई है,जबकि केंद्र सरकार ने इसके बदले में अन्य कई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है ।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम अभी तक कोरोना महामारी से उबर नहीं पाए हैं. देश के 80 करोड़ लोगों को अभी भी मुफ्त में राशन दिया जा रहा है।केंद्र सरकार ने इससे बचने के लिए अभी भी वैक्सीनेशन अभियान चला रखा है।