भारतीय संविधान के आर्टिकल 356 में प्रदत शक्तियों का उपयोग कर संवैधानिक तरीके से तथा न्यायालीन आदेशो का पालन कर निकाय चुनाव कराने हेतू कांगेस ने राज्यपाल को अभ्यावेदन भेजकर सरकार से सवाल किया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जिस अधिसूचना को निरस्त किया जा चुका है उसके बाद sc/st वर्ग के वार्डो का आरक्षण रोटेशन पदत्ति से क्यो नही किया?
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयेश गुरनानी ने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रेस नोट में कहा की दिनांक 25.05.2022 को इंदौर जिला प्रशासन द्वारा इंदौर नगर निगम के वार्डो के आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण रूप से असंवैधानिक एवं अवैधानिक है क्योंकि उक्त प्रक्रिया संवैधानिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाते हुए एवं माननीय उच्चतम न्यायालय एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए संपन्न में की गई है।
माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश खंडपीठ इंदौर द्वारा जयेश गुरनानी विरुद्ध मध्य प्रदेश चुनाव आयोग (WP/12517/2021) के प्रकरण में आदेश दिनांक 10.01.2022 पारित करते हुए यह विधि का सिद्धांत निष्पादित किया था कि नगरीय निकाय के वार्डों का आरक्षण करते समय मध्यप्रदेश शासन को रोटेशन की पद्धति का पालन करना अनिवार्य है तथा मध्यप्रदेश राज्य पत्र दिनांक 06.11.2020 में प्रतिपादित मध्यप्रदेश के संपूर्ण नगरीय निकाय चुनाव का आरक्षण को असंवैधानिक एवं शून्य घोषित कर दिया गया था।
माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश द्वारा उपरोक्त निर्णय दिनांक 10.01.2022 में मध्यप्रदेश शासन को यह निर्देशित भी किया गया था कि वह पुनः आरक्षण की प्रक्रिया करने के लिए स्वतंत्र है परन्तु उक्त प्रक्रिया करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित वार्डो का रोटेशन करना अनिवार्य होगा
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश राज्य विरुद्ध राजकुमार यादव एवं मनमोहन नागर विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन के प्रकरण में आदेश दिनांक 04.03.2021 एवं 15.12.2021 के माध्यम से मध्यप्रदेश शासन को यह साफ तौर पर निर्देशित किया गया था कि वह नगरीय निकाय में वार्डों का आरक्षण करते समय रोटेशन की प्रक्रिया का पालन करें जिला प्रशासन ने न्यायालयीन आदेशो की अवमानना एवं अवहेलना कर मनमाने ढंग से वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया की है
माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप आरक्षण की प्रक्रिया नहीं की जाने पर मेरे द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागार में दिनांक 25.05.2022 को चल रही वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया में भाग लेकर हमदस्त रूप से जिला प्रशासन को न्यायालय की अवमानना का नोटिस दिया गया जिसे अतिरिक्त कलेक्टर अभय बेडेकर ने स्वीकार किया परंतु इसके उपरांत भी वार्डो के आरक्षण की प्रक्रिया को नहीं रोका गया।
एक नहीं कई आदेशों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी आरक्षण के संबंध में रोटेशन पद्धति का पालन करने के आदेश दिए हैं।
के कृष्णमूर्ति के निर्णय के अतिरिक्त माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मनमोहन नागर के निर्णय में भी शासन को रोटेशन पद्धति से एससी एसटी आरक्षण कराने के निर्देश दिए हैं, उक्त सभी आदेश माननीय सुप्रीम कोर्ट के हैं प्रशासन जिस निर्णय के पैरा 28 का जिक्र कर रहा है वह मात्र लंबित याचिका और अंतरिम आदेश के संबंध में है निराकृत याचिका एवं अंतिम आदेशों के संबंध में नहीं है।
यदि रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया तो एससी एसटी के लिए वर्तमान में आरक्षित सीट से सामान्य वर्ग अथवा अन्य पिछड़ा वर्ग आजीवन चुनाव नहीं लड़ पाएगा यह पूरी तरह असंवैधानिक है।
इसके साथ ही अनारक्षित सीटों पर निवास करने वाले एससी एसटी को कभी भी आरक्षण का लाभ जीवन में प्राप्त नहीं होगा।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन आज सरकार नहीं कर रही है और यह एक गंभीर असंवैधानिक संकट है इसीलिए मैंने माननीय राज्यपाल महोदय को आर्टिकल 356 कि अपनी शक्तियों को उपयोग कर राज्य में राष्ट्रपति महोदय द्वारा प्रोक्लेमेशन के माध्यम से शक्तियों को ग्रहण कर चुनाव प्रक्रिया संविधान के अनुरूप एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के अनुरूप पूर्ण एवं सुनिश्चित करने हेतु निवेदन किया है।
मैंने शासन के शीर्ष अधिकारियों को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस भी दिया है और शीघ्र ही माननीय उच्च न्यायालय में इस संबंध में कंटेंप्ट पिटिशन फाइल करूंगा माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश दिनांक 10.05.2020 में कहीं भी एससी एसटी का आरक्षण रोटेशन पद्धति से ना करने के निर्देश नहीं दिए हैं।
यदि मध्यप्रदेश शासन द्वारा असंवैधानिक अवैधानिक एवं माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय की अवहेलना करते हुए संपन्न की गई वार्डो के आरक्षण की प्रक्रिया पुनः संवैधानिक रूप से नहीं कराई जाती है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की जाएगी एवं हर संभव प्रयास किया जाएगा के नगरीय निकाय के चुनाव संवैधानिक रूप से संपन्न हो।