पिता से प्राप्त संस्कार ही मेरी वसीयत है फादर्स डे पर एलुमनी का आयोजन, केक काटकर किया फादर्स डे सेलिब्रेट

sadbhawnapaati
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इन्दौर। फादर्स डे पर गुजराती कॉलेज एलुमनी ग्रुप द्वारा एक अनूठे रूप में फादर्स डे मनाया गया ये जानकारी देते हुए एलुमनी संयोजक प्रवीण नागदिवे ने बताया कि इस संवेदनशील कार्यक्रम में बड़ी संख्या में एलुमनी मित्रों ने पिता से जुड़ी अपनी यादे शेयर की मित्रों ने अपने पिता को याद करते हुए उनसे संबंधित संस्मरण, जीवन के प्रेरक प्रसंग, और यादें साझा की, एलुमनी मित्रो का पिता के प्रति स्नेह और मन की भावनाएं शब्दो के साथ ही अश्रुधारा के रूप में बह निकली।

ऐसे ही यादों में पिता को याद करते हुए वरिष्ठ अभिभाषक प्रमोद द्विवेदी भावुक हो उठे और पिता से मिले सत्य के प्रति संघर्ष के संस्कारो को ही उन्होंने अपनी असली वसीयत बताया साथ ही स्वयं पिता बनने तक कैसे हम अपने पिता के व्यवहार और सिद्धांत को समझ पाने में चूक करते हैं और समय निकल जाने पर इसके लिए अफसोस करते हैं यह समझाया।

इस अवसर पर बचपन मे अपने पिता को खो चुके भोपाल के ज्ञानोदय विद्यालय के प्रिंसिपल नीरज अब्राहम ने पिता को याद करते हुए उनसे मिली हुई सीख के लिए उन्हें धन्यवाद ज्ञापन किया वहीं दूसरी ओर अपनी गलतियों के लिए उनके जीते जी माफ़ी ना मांग पाने के लिए अफसोस भी जाहिर किया

भोपाल निवासी महिला बाल विकास विभाग से जुड़े सुशील वर्मा ने पुत्र के रूप में पिता के साथ संबंध से लेकर स्वयं पिता बनने तक के सफर को रेखांकित करते हुए पिता से जुड़े संस्मरणों को साझा किया।

वुसअत बहार ने बताया कि उन्होंने अपने शायर पिता से विरासत में लेखन पाया है उनकी याद में उनकी पुस्तक का मरणोपरांत विमोचन भी किया साथ ही उनकी स्मृति में तीर्थदर्शन करवाने का भी प्रण किया । कमल वर्मा ने पिता पर रची हुई एक स्वरचित कविता सुनाई।

वही स्वाति मोहिते ने अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देते हुए उनके प्रति अपने प्रेम को उजागर किया । कार्यक्रम संयोजक प्रवीण नागदिवे ने अपने पिता को याद करते हुए बताया कि कैसे उनके अंतिम दिनों में उनकी इच्छाएं पूरी करने का हर संभव प्रयास किया, चाहे वह गोवा घूमने जाना हो या कोई विशेष भोजन करने का मन हो। उन्होंने उन मित्रों को भी अपने पिता की इच्छाओं को पुत्रवत मानकर पूरा करने का सुझाव दिया जिनके पिता सौभाग्यवश अभी जीवित है। जया महाडिक ने अपने पिता को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया जो ग़लत करने पर सजा देते थे तो अच्छा करने पर बहुत प्रोत्साहित भी करते थे ।

ग्रुप की वरिष्ठ सदस्य और एडमिन डॉक्टर अर्चना करंदीकर ने भी अपने पिता के स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना के साथ बताया कि कैसे उन्होंने अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने के लिए प्रेरित किया।

सुनील गुप्ता, मनोज नामदेव, राजेश सुनहरे, गोपाल बोरासी, जय महादिक, गजेंद्र बापट, जगदीश पटेल, रेखा अब्राहम, मनीषा नागदिवे, देवनारायण पांचाल, मनीषा छापरवाल, भारती शर्मा, आभा भंडारी, राकेश अहिरवार, जगदीश पटेल, जितेंद्र खरे, सुनीता शर्मा, सुदर्शन पंडोले, जितेंद्र कुशवाहा, दीपक द्विवेदी, विनय शर्मा आदि मित्रों ने अपने पिता और उनसे जुड़ी प्रेरणादाई यादों को इस अवसर पर साझा किया।

संचालन डॉक्टर अर्चना करंदीकर ने किया और आभार गजेंद्र बापट ने माना।

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