चीनी मोबाइल खरीदने से पहले, ये सच जान लें !

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sadbhawnapaati
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भारतीय मोबाइल मार्केट में चीनी मोबाइल्स का बोल-बाला है। कीमत कम और फीचर्स ज्यादा। जाहिर है इनकी बिक्री आसमान छू रही है।
श्योमी, ओपो, विवो, वन प्लस, आदि चीनी ब्रांड्स की धूम मची है। जबकि भारतीय ब्रांड्स जैसे – माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा, कार्बन, आदि मार्केट से गायब ही हो गए हैं।
जब चीन ने लद्दाख बॉर्डर पर अवैध घुसपैठ की तब भारत में “चीनी सामान के बहिष्कार” की लहर उठी। भारत ने चीन की 59 मोबाइल एप्स को बैन कर दिया। लेकिन इसका चीनी मोबाइल्स की बिक्री पर क्या असर पड़ा? भारत में चीनी मोबाइल्स का मार्केट शेयर जो 2020 में 76% था, इस वर्ष भी 72% के आस-पास है। यानी, चीनी मोबाइल अब भी खूब खरीदे जा रहे हैं।
चीन और भारत के बीच व्यापार अब भी एक-तरफा है। भारत चीन से 66 बिलियन डॉलर का सामान आयात करता है जबकि केवल 20 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है। चीनी सामान के बहिष्कार का बड़ा असर चीन पर हो सकता था, लेकिन लगता है हमने वो मौका गवां दिया।
चीनी कम्युनिस्ट शासन न केवल चीन के नागरिकों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरा है। पिछले 70 वर्षों में, कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन को एक के बाद एक मानव निर्मित त्रासदियों के हवाले किया है, जैसे महान अकाल, सांस्कृतिक आन्दोलन, तियानमेन स्क्वायर हत्याकांड, फालुन गोंग दमन, तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का हनन, आदि।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अत्याचारों की हद तब पार हो गयी जब 2006 में किल्गौर और माटास रिपोर्ट ने खुलासा किया कि चीन में कैद आध्यात्मिक पद्धति फालुन गोंग के अभ्यासियों व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके अंगों की तस्करी के लिए मारा जा रहा है।

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कोरोना वायरस मसले पर चीन की लापरवाही, कवर अप और अंडर-रिपोर्टिंग का परिणाम पूरा विश्व भुगत रहा है। लेकिन चीन अपनी गलती मानने की जगह भारत, अमेरिका और यूरोप के देशों पर धौंस और दादागिरी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है। चीन को सैन्य ताकत से रोकना मुश्किल है। केवल चीनी सामान के पूरी तरह बहिष्कार से ही उस पर असर पड़ सकता है।
इसी सन्दर्भ में, प्रतिष्ठित मैगसेसे अवार्ड विजेता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक कहते हैं कि भारत की बुलेट पॉवर से ज्यादा वॉलेट पॉवर काम आ सकती है। अगर हम सब बड़े स्तर पर चीनी व्यापार का बायकॉट करते हैं तो उसका चीनी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो एक तरफ हमारी सेना सीमा पर जंग लड़ रही होगी, और दूसरी तरफ हम और आप चीनी सामान, मोबाइल से लेकर कंप्यूटर, कपड़ों से लेकर खिलौनों तक, को खरीद कर चीन की सेना को पैसा भेज रहे होंगे।
अब भारत को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने का समय आ गया है। अब समय है, भारत के लोग निर्णय लें। जितना अधिक हम चीनी सामान खरीदते हैं, उतना ही अधिक हम उस तानाशाह शासन को ताकतवर बना रहे होते हैं। इसलिए चीनी मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और अन्य सामान खरीदने से पहले सोचें। बॉलीवुड हस्तियां भी चीनी उत्पादों का विज्ञापन करने से पहले समाज और देश के लिए अपने दायित्व को समझें।
क्या अब भी आप चीनी मोबाइल खरीदना चाहेंगे? इस बारे में अपनी राय जरूर बताएं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।