प्रदेश के एक लाख से ज्यादा वकीलों को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने दी डिलिस्टिंग की सुविधा

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sadbhawnapaati
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इंदौर। मध्य प्रदेश के एक लाख से ज्यादा वकीलों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। वकील अब पहले की तरह कोर्ट में आवेदन देकर बता सकेंगे कि वे फलां-फला तारीख पर अति आवश्यक कार्य होने की वजह से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकेंगे। उनके केस सुनवाई के लिए न लगाए जाएं। न्यायालयीन भाषा में इसे डिलिस्टिंग कहा जाता है। हाई कोर्ट ने 22 जुलाई से इस सुविधा को समाप्त कर दिया था। इसके चलते वकीलों में रोष था। उनका कहना था कि डिलिस्टिंग की सुविधा वापस लेने से पक्षकारों का नुकसान हो रहा है।

गौरतलब है कि मप्र हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार वकीलों को डिलिस्टिंग की सुविधा दी गई थी। इसके तहत पारिवारिक या अन्य आवश्यक कारण से वकील कोर्ट को पूर्व में सूचना देकर सूचित कर सकते हैं कि उन तारीखों पर उनके केस सुनवाई के लिए नहीं लगाए जाएं क्योंकि वे न्यायालय नहीं आएंगे।

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरज शर्मा और उपाध्यक्ष एमएस चौहान ने बताया कि मंगलवार को मुख्य न्यायाधिपति ने तीनों हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्षों के साथ इस मुद्दे को लेकर बैठक की। पदाधिकारियों ने मुख्य न्यायाधिपति को बताया कि डिलिस्टिंग सुविधा नहीं होने से वकीलों के साथ-साथ पक्षकारों को नुकसान हो रहा है। मुख्य न्यायाधिपति ने उक्त व्यवस्था को तुरंत प्रभाव से फिर से लागू करने के आदेश दिए.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।