कंगना रनौत के आजादी को भीख बताए जाने वाले बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। लोगों ने कहा कि कंगना हजारों कुर्बानियों को भीख बता रही हैं। कई लोगों ने यूपीए शासन काल के दौरान उन्हें नेशनल अवॉर्ड को स्वीकार किए जाने पर भी सवाल खड़े किए। यूजर का कहना था कि यदि वह आजादी भीख थी तो आपने वह नेशनल अवॉर्ड क्यों लिया।
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत भारत की आजादी पर दिए बयान के बाद विवादों में हैं. कंगना ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि आजादी अगर भीख में मिले, तो क्या वो आजादी हो सकती है? कंगना ने कहा कि असली आजादी तो 2014 में मिली है. इस बयान के बाद कंगना निशाने पर हैं. बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ उदित राज ने कंगना पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मोदी सरकार ने मानसिक बीमार कंगना रनौत को पद्मश्री देकर संविधान , जनतंत्र और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। पद्मश्री छीनकर इस पागल को गिरफ़्तार किया जाए।’ वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने राष्ट्रपति भवन को टैग करते हुए ट्वीट किया कि बिना देरी किए कंगना रनौत से पद्म श्री सम्मान वापस लेना चाहिए. उन्होंने लिखा कि नहीं तो दुनिया ये समझेगी कि गांधी, नेहरू, भगत सिंह, सरदार पटेल, कलाम, मुखर्जी, वीर सावरकर ने भीख मांगी तो आजादी मिली. उन्होंने ये भी मांग की है कि कंगना इस बयान के लिए माफी मांगे. जीतनराम मांझी ने चैनलों से भी कंगना को बैन करने की अपील की है. बता दें कि कंगना को हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
कंगना ने क्या कहा था
कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में आजादी को लेकर बयान दिया. कंगना ने कहा कि आजादी अगर भीख में मिले, तो क्या वो आजादी हो सकती है? सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, नेता सुभाषचंद्र बोस इन लोगों की बात करूं तो ये लोग जानते थे कि खून बहेगा लेकिन ये भी याद रहे कि हिंदुस्तानी-हिंदुस्तानी का खून न बहाए. उन्होंने आजादी की कीमत चुकाई, यकीनन. पर वो आजादी नहीं थी वो भीख थी. जो आजादी मिली है वो 2014 में मिली है.
इस बयान के बाद कंगना नेताओं के निशाने पर हैं. बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार. इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?