(विचार मंथन) बदला सियासी नक्शा 

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(लेखक- सिद्धार्थ शंकर)

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आ चुके हैं। नतीजे भाजपा के लिए उत्साहजनक हैं, तो विपक्ष के लिए निराशाजनक। यह तय है कि इन नतीजों के बाद विपक्ष को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी और जनता के बीच अपनी छवि बदलनी होगी।
राजनीति का ट्रेंड अब बिल्कुल बदल चुका है। पुरानी धारा पर चुनाव जीतना अब मुश्किल है। अब विकास की बात होती है, जातियों की नहीं। पांच राज्यों में परिणाम आने के बाद देश का सियासी नक्शा बदल गया है। फिलहाल 18 राज्यों में भाजपा और उसके गठबंधन की सरकारें हैं। इन राज्यों में देश की करीब 50 फीसदी फीसदी आबादी रहती है।
यानी, देश की करीब आधी आबादी वाले राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। वहीं, छह राज्यों में कांग्रेस और उसके गठबंधन की सरकारें हैं। जहां देश की करीब 28 फीसदी आबादी रहती है।
मई 2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। मोदी के सत्ता में आने के वक्त देश के सात राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें थीं।
इनमें पांच राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री थे। वहीं, बिहार और पंजाब में उसकी सहयोगी पार्टी सरकार चला रही थी। इन दो राज्यों में देश की 11 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है।
बाकी पांच राज्यों छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा के मुख्यमंत्री थे। इन राज्यों में देश की 19 फीसदी आबादी रहती है। यानी, जब मोदी सत्ता में आए उस वक्त करीब 30 फीसदी आबादी पर भाजपा और उसकी सहयोगी सरकारें चल रही थीं।
2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए उस वक्त देश के 14 राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टियों की सरकार थी। कांग्रेस शासित इन राज्यों में देश की 27 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है।
इन राज्यों में महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे दो बड़े राज्य शामिल थे। 2014 में सात राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार थी। चार साल बाद मार्च 2018 में 21 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार थी।
इन राज्यों में देश की करीब 71 फीसदी आबादी रहती है। ये वो दौर था जब भाजपा शासन आबादी के लिहाज से पीक पर था। वहीं, चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। इन राज्यों की सात फीसदी आबादी रहती है।  भाजपा इस वक्त करीब 50 फीसदी आबादी पर राज कर रही है।
भाजपा तो 18 राज्यों में अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही, लेकिन कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य चला गया। अभी कांग्रेस और गठबंधन की छह राज्यों में सरकार है।
पंजाब हाथ से जाने के बाद पांच राज्यों में ही सरकार रह जाएगी। इनमें भी केवल दो राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई है। मतलब यहां इनके मुख्यमंत्री हैं। जबकि अन्य तीन राज्यों में गठबंधन की सरकार है। कांग्रेस को इस प्रदर्शन से सबक लेना होगा।
उसके सामने 2023 का लोकसभा चुनाव है। इससे पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में चुनाव मैदान में जाना है। इन सभी जगहों पर उसका मुकाबला भाजपा से होना है, जिसके पास कैडर है, कार्यकर्ताओं की भारी फौज है।
अगर कांग्रेस इसी तरह चुनाव लड़ती रहेगी, तो आप जैसे दल उससे सत्ता छीनते रहेंगे। आप को पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर से भारी लाभ हुआ है। आप को उन युवा और महिला मतदाताओं का समर्थन मिला जो एक नई पार्टी को मौका देना चाहते थे।
पिछले चुनाव में यही वर्ग कांग्रेस के साथ आया था, मगर इस बार कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने इस वर्ग को दूर कर दिया। कुल मिलाकर भाजपा को इस जीत से बड़ा टॉनिक मिला है। वह पूरे देश में प्रचारित करेगी कि विकास के नाम पर जनता उसके साथ है। जातियों की राजनीति अब पीछे छूट चुकी है।

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