कविता

भावनात्मक, रचनात्मक और कलात्मक अभिव्यक्ति

Latest कविता News

वृक्ष नहीं ये युग का हुआ अवसान, पीपल था वृक्षों में कृष्ण समान

आचार्य इंजी.अखिलेश जैन "अखिल" वृक्ष नहीं ये, युग का हुआ अवसान, पीपल…

Rajendra Singh

जीवन की कश्ती

 डॉ. दिलीप वागेला इंसान को चढ़ गई है ऐसी मस्ती, मिटाने पर…

मत काटो पेड़ों को तुम – डॉ. दिलीप वागेला

मत काटो पेड़ों को तुम, ये हैं धरा के प्राण, हर शाख़…

Rajendra Singh

आओ, फिर हरियाली बोएं

✍️ रचना: अखिलेश जैन "अखिल" न सुना कहानियां पतझड़ की, अब बहारों…

Rajendra Singh

विकास की खलबली में, चढ़ता पेड़ ही क्यों बलि ?

🌿 विकास की खलबली में, 🌳 चढ़ता पेड़ ही क्यों बलि? 🌸…

Rajendra Singh

पिंडदान

पिंडदान मैं एक हूं और होना चाहता हूं एक से दो जैसे…

Rajendra Singh

मेरी अंतिम इच्छा

🌿 मेरी अंतिम इच्छा.. 🌿 मेरा अंतिम संस्कार किसी 🌳 हरे-भरे वृक्ष…

Rajendra Singh

बूंद-बूंद सहेजो

बूंद-बूंद सहेजो जीवन का आधार है जल जल बिन कल का अर्थ…

Rajendra Singh

नौनिहाल के पल

नौनिहाल के पल गर्मी की छुट्टियां ननिहाल आंगन बसती थी ! छोटी…

Rajendra Singh

उपकृत – डॉ. दिलीप वागेला

डॉ. दिलीप वागेला पेड़ तुम कटते हो- कौन रोता है? काटता है…

Rajendra Singh