यादव ने समारोह के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, ‘राज्यपाल के कार्यक्रमों में समय की एक सीमा होती है। डीएवीवी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा थी।
‘ उन्होंने कहा कि जब उन्होंने राज्यपाल से निवेदन किया, तो वह उदारता दिखाते हुए सभी विद्यार्थियों को उपाधि और पदक प्रदान के लिए कार्यक्रम में तय समय से अधिक रुकने को राजी हो गए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग आने वाले दीक्षांत समारोहों में अपने समय प्रबंधन में सुधार करेगा।
कार्यक्रम पर यह बोले विश्वविद्यालय के अधिकारी
डीएवीवी के एक अधिकारी ने बताया कि दीक्षांत समारोह में 148 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी जानी थी, जबकि स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में अव्वल रहे 113 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए जाने थे।
अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के मद्देनजर डीएवीवी के दीक्षांत समारोह के लिए 90 मिनट का वक्त दिया था और इसे देखते हुए तय किया गया कि उनके हाथों 50-50 पीएचडी शोधार्थियों और मेधावी विद्यार्थियों को क्रमश: उपाधि व स्वर्ण पदक प्रदान कराए जाएंगे।
अधिकारी ने कहा, ‘बाकी विद्यार्थियों को कुलपति के हाथों उपाधि और स्वर्ण पदक दिए जाने थे।’
चश्मदीदों ने बताई आंखों देखी
चश्मदीदों ने बताया कि राज्यपाल के हाथों उपाधि हासिल करने का अवसर नहीं मिलने पर पीएचडी की एक महिला शोधार्थी रो पड़ी। हंगामे के दौरान शोधार्थी ने बताया कि वह राज्यपाल के हाथों उपाधि लेने के लिए मुंबई से इंदौर आई थी, लेकिन मंच पर बुलाने के लिए उसका नाम ही नहीं पुकारा गया।