शहर के हृदयस्थल में स्थित बंद पड़ी हुकुमचंद मिल के परिसर में 33 वर्षों में विकसित हुई प्राकृतिक हरियाली को संरक्षित करने की माँग एक बार फिर तेज हो गई है। इंदौर के वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ. ओ. पी. जोशी ने इस संबंध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को एक विस्तृत सुझाव-पत्र भेजकर इस क्षेत्र को ‘नगर वन’ (City Forest) घोषित करने का अनुरोध किया है।
डॉ. जोशी ने अपने पत्र में लिखा कि वर्ष 1992 से बंद पड़ी हुकुमचंद मिल की भूमि पर प्राकृतिक रूप से हरियाली विकसित हो गई है, जो अब एक स्थानीय जंगल का रूप ले चुकी है। यह क्षेत्र तापमान नियंत्रण, वायु शुद्धिकरण और आस-पास की घनी बस्तियों के लिए एक बफर ज़ोन का काम कर रहा है। उन्होंने इसे इंदौर के ‘हरी फेफड़े’ की संज्ञा दी।
डॉ. जोशी ने कहा कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हाउसिंग बोर्ड द्वारा इस भूमि को अधिगृहित कर कर्मचारियों की देनदारियाँ चुकाने का मानवीय कार्य किया गया, वहीं अब आवश्यकता इस बात की है कि इस परिसर की हरियाली को भी संरक्षित किया जाए।
हरियाली के महत्व पर वैज्ञानिक आधार
पत्र में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, इंदौर शहर की हरियाली केवल 9 से 10% तक सीमित है। IIT इंदौर के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में डेढ़ लाख पेड़ कट चुके हैं। वायु प्रदूषण के चलते शहर का Air Quality Life Index 4.9 वर्ष दर्शाया गया है — अर्थात एक नागरिक की औसत आयु में लगभग 5 वर्ष की कमी। शहर का तापमान भी चिंताजनक रूप से बढ़ा है — मई 2024 में 11 दिन 40°C से अधिक तापमान रहा, और 23 मई को यह 44.5°C तक पहुँच गया।
भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2023 के बीच इंदौर जिले के वनक्षेत्र में 13 वर्ग किमी की कमी आई है।
नवीन निर्माण बन सकते हैं नई समस्या
डॉ. जोशी ने आशंका जताई कि यदि हुकुमचंद मिल परिसर में 25 मंजिला आवासीय व व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाए गए तो न केवल ट्रैफिक जाम की स्थिति और बिगड़ेगी, बल्कि क्षेत्र की शेष हरियाली भी नष्ट हो जाएगी। उन्होंने उदाहरणस्वरूप नवलखा और होप टेक्सटाइल्स मिल्स के पुराने असफल रिहायशी प्रोजेक्ट्स का भी उल्लेख किया।
वैकल्पिक सुझाव
पत्र में उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि योजना क्रमांक 97 की वह 42 एकड़ भूमि, जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शासन ने प्राप्त किया है और जहाँ इंदौर विकास प्राधिकरण ‘सिटी फॉरेस्ट’ बना रहा है, उसी स्थान पर हाउसिंग बोर्ड का प्रस्तावित प्रोजेक्ट स्थानांतरित किया जा सकता है। इससे हुकुमचंद मिल की हरियाली को बचाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री से संवेदनशील हस्तक्षेप की अपेक्षा
डॉ. जोशी ने अंत में उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो स्वयं हरियाली व पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील रहे हैं, इस विषय पर गंभीर विचार कर हुकुमचंद मिल परिसर को ‘नगर वन’ घोषित करने का ऐतिहासिक निर्णय लेंगे।