गोल्ड डस्ट कॉलोनी के रहवासी तरस रहे हैं मूलभूत सुविधाओं को — डीएचएल इंफ्रा पर फिर उठे सवाल

महू की हाईवे टच कॉलोनी ‘गोल्ड डस्ट’ में 11 साल बाद भी नहीं मिला पानी, ड्रेनेज और सुरक्षा की व्यवस्था

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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डॉ. देवेंद्र मालवीय
दैनिक सदभावना पाती

DHL Infrabul Gold Dust Colony in Mhow। आगे ही बढ़ते जाना है, यह नारा डीएचएल इंफ्राबुल की गोल्ड डस्ट कॉलोनी के ब्रोशर पर आज भी लिखा है, लेकिन 11 साल बाद भी यहां के रहवासी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। दैनिक सदभावना पाती की टीम ने जब महू स्थित इस कॉलोनी का दौरा किया, तो सामने आया कि कॉलोनी की हालत बदतर है। पानी, ड्रेनेज, लाइट, मेंटेनेंस लगभग हर मूलभूत सुविधा यहां नदारद है।

ब्रोशर में सपने दिखाए, हकीकत में दलदल मिली — रहवासियों की व्यथा, यह कॉलोनी महू के कॉलेज के सामने मुख्य सड़क से सटी हुई है। डीएचएल इंफ्रा ने इसे गोल्ड डस्ट कॉलोनी नाम से 2014 में लॉन्च किया था। यहां तकरीबन 1200 प्लॉट्स हैं, जिनमें 200 से अधिक परिवार वर्तमान में रह रहे हैं।

रहवासी मंडलोई जी बताते हैं —

हमने अच्छे सपने देखकर प्लॉट खरीदे थे। लेकिन आज तक सेफ्टी टैंक अधूरा है, पानी की टंकी कभी चालू नहीं हुई, ड्रेनेज नालियां बंद पड़ी हैं और सड़कों की हालत बेहद खराब है। कॉलोनी का मेंटेनेंस भी नहीं हो रहा। रहवासियों के अनुसार कॉलोनी में लाइट तक कॉलोनी वालों ने खुद अपने पैसे से लगवाई है। डीएचएल इंफ्रा द्वारा न तो हैंडओवर किया गया, न ही मेंटेनेंस की कोई जिम्मेदारी निभाई जा रही है।

कॉलोनी हैंडओवर नहीं

रहवासी बताते हैं कि डीएचएल इंफ्रा ने अब तक कॉलोनी पंचायत या एमपीईबी को हैंडओवर नहीं की। जब भी रहवासी शिकायत करते हैं, कॉलोनाइजर पक्ष से केवल आश्वासन मिलता है। एक रहवासी ने कहा —कॉलोनी कंप्लीशन के दावे तो हैं, लेकिन न एमपीईबी कहता है हमारे पास हैंडओवर हुआ, न पंचायत के पास रिकॉर्ड है। फिर हमारी समस्याओं का समाधान कौन करेगा?”

कॉलोनाइजर दंपत्ति के विवाद में फंसे रहवासी

सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि कॉलोनी अब कॉलोनाइजर संतोष सिंह और उनकी पूर्व पत्नी के विवाद में फंस गई है। कुछ दिन पहले रहवासियों ने आरोप लगाया कि सड़क खुदवा दी गई, जिससे मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया।

पूर्व पत्नी ने ‘दैनिक सदभावना पाती’ से कहा

मेरी जमीन पर बिना सहमति सड़क बना दी गई। यह जमीन मेरे और संजीव जायसवाल की पत्नी के नाम है। कॉलोनाइजर ने मेरे और रहवासियों दोनों के साथ धोखाधड़ी की। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच करवाई थी, जिसमें एसडीएम ने स्पष्ट किया कि कॉलोनी का असली मुख्य द्वार रिछाबड़ी रोड की ओर है, जबकि सड़क धोखाधड़ीपूर्वक बनाई गई थी।

इस विवाद का सीधा खामियाजा यहां के रहवासी भुगत रहे हैं

सड़कें खुदी पड़ी हैं, गाड़ियां तक नहीं निकल पा रहीं। कॉलोनाइजर ने बाउंड्री तक पूरी नहीं करवाई। घास सूख चुकी है, पेड़-पौधे मुरझा गए हैं और जानवर खुलेआम घूमते हैं। कम्युनिटी हॉल अधूरा पड़ा है और सिक्योरिटी गार्ड केवल नाम के लिए हैं।रहवासियों ने कहा —हमने 12–15 साल पहले अपने सपनों का घर बनाने का सपना देखा था। अब सिर्फ धूल और गड्ढे दिख रहे हैं।

दैनिक सदभावना पाती की अपील

डीएचएल इंफ्रा की कॉलोनियों में एक के बाद एक खामियां सामने आ रही हैं। प्रशासन को चाहिए कि इन मामलों में संज्ञान लेकर रहवासियों को राहत दिलाए। जनप्रतिनिधियों को भी चुनाव के वक्त ही नहीं, बल्कि इन नागरिकों की वास्तविक समस्याओं में साथ देना चाहिए। सवाल उठता है कि अगर कॉलोनी का कंप्लीशन हो चुका है, तो बिना मूलभूत सुविधाओं के कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैसे जारी हुआ? यह गंभीर जांच का विषय है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।