Editorial News – (विचार मंथन) लड़ाई का मुकाम 

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(लेखक- सिद्धार्थ शंकर)

यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमला जारी है। खारकीव समेत कई प्रमुख शहरों लगातार हमले हो रहे हैं। यहां 24 घंटे में हुए हमलों में कम से कम 21 लोग मारे गए हैं और 112 घायल हो गए हैं।
आज सुबह रूसी पैराट्रूपर्स ने खारकीव में एक अस्पताल पर हमला किया। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया है कि जंग में अब तक लगभग 6000 रूसी सैनिक मारे गए हैं।
15,000 रूसी सैनिकों का 64 किमी लंबा काफिला यूक्रेन की राजधानी कीव के करीब पहुंच रहा है। रूसी हमले की तबाही झेल रहे राजधानी से निकलने के लिए स्टेशन पर हजारों लोग संघर्ष कर रहे हैं।
वहीं, यूक्रेन की सेना ने पुष्टि की है कि रूसी पैराट्रूपर्स खारकीव शहर में उतरे हैं। इस शहर को पहले ही रूसी सेना ने घेर रखा है। यूक्रेन में हालात बिगड़ते जा रहे हैं, लोगों के पास खाने का सामना खत्म हो रहा है।
कई नागरिक इस उम्मीद में हैं कि स्थिति सामान्य होगी। वहीं दुनियाभर में लोग रूस के इस हमले की निंदा कर रहे हैं। पहले रूस के दो दिनों के भीतर यूक्रेन पर कब्जा कर लिए जाने की संभावना थी, लेकिन छह दिन के बाद भी यूक्रेन और रूस की लड़ाई किसी मुकाम पर नहीं पहुंची है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी सेना अब कीव के चारों तरफ पहुंच चुकी है। इसलिए संभावना है कि कीव पर कब्जा करने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा।
लेकिन यदि रूस कीव कर कब्जा नहीं कर पाता है तो फिर युद्ध कई दिनों तक और लंबा खिंच सकता है। हालांकि रूस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि सात मार्च तक रूस, यूक्रेन को पूरी तरह से कब्जे में ले लेगा। यूक्रेन पर कब्जे को लेकर रूस का आकलन सही नहीं निकला।
इसके अलावा कुछ और कारण भी इस बीच उत्पन्न हो गए। जैसे यूक्रेन की नागरिक भी युद्ध में कूद पड़े, यूक्रेन को कई देशों से मदद भी मिलने लगी। तीसरे, रूस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी है, इसलिए उसकी कोशिश है कि युद्ध में नागरिकों को नुकसान न्यूनतम हो।
इसलिए रूस उस आक्रामकता के साथ युद्ध नहीं कर रहा है। इन सब कारणों के चलते युद्ध लंबा खिंच रहा है। इसके किसी मुकाम तक पहुंचने में एक सप्ताह का समय और लग सकता है। यह स्पष्ट है कि रूस अब किसी भी सूरत में पीछे हटने वाला नहीं है।
युद्ध खत्म होने की दो ही स्थितियां हैं, एक यूक्रेन समर्पण कर दे और दूसरा रूस उस पर काबिज हो जाए। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ समय और लग सकता है, लेकिन यह समय बहुत ज्यादा नहीं होगा क्योंकि यूक्रेन के लिए लंबे समय तक मुकाबला करते रहना आसान नहीं होगा।
युद्ध का बड़ा आकार लेने या विश्व युद्ध जैसे खतरे की आशंका नहीं के बराबर है क्योकि नाटो सेनाएं अपने रुख को पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं। लेकिन इस युद्ध से नुकसान पूरी दुनिया को होगा। युद्ध जितना लंबा खिंचेगा नुकसान उतना बढ़ता जाएगा।
इस जंग के बाद अगर रूस अपनी सेना को यूक्रेन में छोड़ता है तो वहां राष्ट्रवाद और उग्र रूप धारण कर सकता है। यूक्रेनी जनता रूसी सैनिकों को अपने देश में कतई नहीं बर्दाश्त कर सकती हैं।
यूक्रेन की राजनीति में रूसी दखल किसी भी सूरत में पुतिन के लिए शुभ नहीं होगा। ऐसे में यूक्रेन में रूस के समक्ष एक नई तरह की चुनौती पैदा होगी।
रूस और यूक्रेनियों के बीच एक नया संघर्ष पैदा होगा। यह रूस के लिए खतरनाक होगा। खासकर पुतिन की सत्ता के लिए घातक होगा।
यह स्थिति तब उत्पन्न होगी जब युद्ध के बाद रूस एक अमेरिका और पश्चिमी देशों का कठोर प्रतिबंध झेल रहा होगा। यह रूस के लिए किसी बुरे दिन से कम नहीं होगा।
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