Education News – फिर कानूनी अड़चन में उलझा MPPSC 2019 का रिजल्ट

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की साल 2019 का परीक्षा परिणाम एक बार फिर कानूनी अड़चन में उलझ गया है.

सरकार ने 20 दिसंबर 2021 को असंवैधानिक नियमों की वापसी के बावजूद ग्यारह दिन बाद उन्हीं नियमों के तहत परीक्षा परिणामों की सूची जारी कर दी. अब एक बार फिर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दे दिया है.

सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमथ की बेंच ने राज्य सरकार और पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

एक फिर अटका MPPSC 2019 का परीक्षा परिणाम

अभ्यार्थियों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने बताया कि सरकार ने पूर्व में जिन असंवैधानिक नियमों को वापस लेने की बात हाईकोर्ट में कही थी, अब सरकार ने उन्हीं नियमों के तहत पीएससी 2019 के परिणाम जारी कर दिए हैं.

याचिका में कहा गया है कि नियम पूरी तरह से असंवैधानिक है, क्योंकि इस नियम के तहत अनारक्षित वर्ग की मेरिट सूची में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को शामिल ना करने का प्रावधान किया गया था.

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह के मुताबिक इस नियम को सरकार ने भी असंवैधानिक पाया था और 20 दिसम्बर 2021 को उसे वापस ले लिया था. इसके ठीक ग्यारह दिन बाद इन्हीं नियमों के तहत पीएससी 2019 के परीक्षा परिणाम 31 दिसम्बर 2021 को जारी कर दिए गए.

हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

बहरहाल अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और मध्य प्रदेश पीएसी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पीएससी 2019 की परीक्षा के लिए नवंबर 2019 में विज्ञापन जारी किए गए थे.

जनवरी 2020 में परीक्षा लेने के बाद फरवरी 2020 में सरकार ने अचानक से न केवल आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 113 प्रतिशत कर दी थी बल्कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के मेधावी प्रतिभागियों को मेरिट का लाभ देने से भी वंचित करने का नियम बना दिया.

सरकार के इस आदेश को कई याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने भी इसे नियम विरुद्ध मानते हुए पीएससी 2019 के परिणाम पर रोक लगा दी. 20 दिसंबर 2021 को इस नियम को निरस्त करने के बाद ही हाईकोर्ट से परिणाम जारी करने की अनुमति दी गई थी.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।