यूँ ही नहीं लग जाता नाम के आगे "डॉक्टर"
जानिए कैसे मिलती है पीएचडी की डिग्री
Ph.D. रीसर्च के आधार पर की जाने वाली डिग्री है। जिसमे विद्यार्थी अपनी पसंद के मुताबिक़ विषय चुनकर उसपर विस्तार से ज्ञान हासिल कर सारी जानकारी को एक जगह एकत्रित करता है जिसे थीसिस कहा जाता है। इसका मकसद यह रहता की आगे उस विषय पर जानने के लिए उस थीसिस का इस्तेमाल किया जा सकता है और विषय पर जानकारी ली जा सकती है। एक Ph.D. होल्डर ज़्यादातर प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, लेखक आदि के रूप में अपने भविष्य को आकार देते है । इसमें स्कोप बहुत अधिक है ।
Ph.D. की फुल फॉर्म डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (Doctor of Philosophy)
1: कैंडिडेट को 12 साल की बुनियादी शिक्षा ( कक्षा 1st -12th ) पूरी होना अनिवार्य हैं।
2: PhD करने के लिए किसी भी विषय से बैचलर डिग्री में पास होना अनिवार्य हैं।
3: आपको कम से कम 50%-55% के साथ मास्टर डिग्री में पास होना ज़रूरी है। मास्टर डिग्री में पास होने के बाद ही आप PhD के लिए योग्य साबित होते हैं।
4: मास्टर डिग्री के बाद PhD में एडमिशन लेने के लिए आपको UGC-NET, TIFR,JRF-GATE या स्टेट लेवल के एंट्रेंस एग्ज़ाम पास करने होंगे। कुछ यूनिवर्सिटीज़ द्वारा एंट्रेंस परीक्षा संचालित करवाई भी जाती है।
5 : एंट्रेंस एग्ज़ाम पास करने के बाद आप अपनी पसंद और कोर्स के अनुसार PhD के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
6 : अधिकतर PhD कॉलेजेस में एडमिशन लेने के लिए व्यक्तिगत इंटरव्यू आयोजित किया जाता है। वह क्लियर करने के बाद ही आपको PhD में एडमिशन मिलता है।
7 : गाइड का चयन और उपलब्धता पर निर्भरता बहुत मायने रखती है
8 : कोर्सवर्क, प्रेज़ेंटेशन, प्रगति रिपोर्ट जमा, डिफेन्स ऑफ़ द थीसिस आदि अनेक प्रोसीजर होते है.
9 : प्री वाइवा और फाइनल प्रेजेंटेशन के बाद आपको अवार्ड होती है पीएचडी
10 : कुल समय 3 -6 साल
मानद उपाधि किसे दी जाती है समझें
ऑनरेरी डिग्री देने का उद्देश्य यह है कि हम किसी ऐसे शख्स को सम्मानित करें, जिसने समाज में शानदार योगदान दिया हो। किसी विश्वविद्यालय द्वारा उस व्यक्ति को सम्मान देने से उस विश्वविद्यालय का ही सम्मान बढ़ता है। डाक्टरेट की मानद उपाधियों से नवाजे जाने वालों में अधिकांश राजनेता, नौकरशाह और अन्य प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होते हैं। किसी शख्स को उसके उत्कृष्ट काम या समाज में बेहतरीन योगदान देने के लिए ऑनरेरी डिग्री (मानद उपाधि) दी जाती है। यह एक तरह से अकादमिक सम्मान है। मानद उपाधि देने की शुरुआत पंद्रहवीं शताब्दी में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से हुई।
इन लोगों को मिलती है मानद उपाधि
बता दें कि दो तरह की मानद डिग्री होती है। एक वह, जो उन लोगों को दी जाती है, जिनके पास पहले से डिग्री या कोई बड़ा सम्मान मौजूद हो। मसलन, कोई नोबेल विजेता है, अगर उसे कोई विश्वविद्यालय मानद डिग्री देता है, तो यह उस विश्वविद्यालय के लिए अपने सम्मान की बात है।
ऑनरेरी डिग्री पाने वाले लोग अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ नहीं लगा सकते। या अगर लगाते हैं, तो उसके आगे ‘ऑनरेरी’ जरूर लिखते हैं। दूसरी तरह की मानद डिग्री उन लोगों के लिए होती है, जिन्होंने समाज के लिए बहुत बड़े काम किये हों और क्वालिफिकेशन के तौर पर वे डॉक्टरेट न हों।
नेताओं को मिलती रही हैं मानद उपाधियां
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष रहे सैम पित्रोदा को पांच मानद उपाधियां प्रदान की गयीं। दस वर्ष तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया को उनके कार्यकाल के दौरान नौ मानद उपाधियां प्रदान की गयीं। मुरली मनाेहर जोशी तथा अर्जुन सिंह को दो दो बार मिली मानद उपाधि, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उनके कार्यकाल के दौरान चार बार मानद उपाधि मिली। उनके बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर को दो बार अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, स्व. लता मंगेशकर इनके अलावा भी कई हस्तियों को मानद उपाधि मिल चुकी है।