इन्दौर। नरवाई/पराली जलाना अपराध है। नरवाई/पराली जलाने के नुकसान एवं नरवाई के प्रबंधन के संबंध में किसानों को जागरूक किया गया। इस संबंध में गेंहूँ की पराली को जलाने से होने वाले नुकसान एवं नरवाई के उचित प्रबंधन हेतु परियोजना संचालक आत्मा किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला इन्दौर द्वारा ऑनलाईन वेबिनार का आयोजन किया गया।
इस वेबिनार में क्षेत्रीय गेंहूँ अनुसंधान केन्द्र इन्दौर से डॉ. के.सी. शर्मा, कृषि अभियांत्रिकी विभाग से संतोष बावने, परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती शर्ली थॉमस, कृषि विभाग के समस्त अधिकारी एवं मैदानी अमला एवं जिले के चारों विकासखण्डो से लगभग 100 कृषको ने भाग लिया।
इस वेबिनार में क्षेत्रीय गेंहूँ अनुसंधान केन्द्र इन्दौर से डॉ. के.सी. शर्मा, कृषि अभियांत्रिकी विभाग से संतोष बावने, परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती शर्ली थॉमस, कृषि विभाग के समस्त अधिकारी एवं मैदानी अमला एवं जिले के चारों विकासखण्डो से लगभग 100 कृषको ने भाग लिया।
डॉ. के. सी. शर्मा ने बताया कि नरवाई को जलाने से मिट्टी कड़क एवं उसमें पोषक तत्वों की हानि होती है। लाभदायक जीवाणुओं का नाश भी होता है। फसल अवशेषो से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ भूमि में जाकर मृदा पर्यावरण में सुधार कर सूक्ष्म जीवी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है, जिससे खेत की उर्वरता बढ़ती है। कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर प्रयोग अनिवार्य रूप से करें। स्ट्रा रीपर यंत्र डंठलों को काटकर भूसे में बदल देता है।
संतोष बावने ने कृषकों को नरवाई के प्रबंधन हेतु आवश्यक कृषि यंत्रों की जानकारी विभागीय अनुदान एवं योजनाओं का लाभ लेने की पूरी प्रक्रिया विस्तार से समझाई जिससे नरवाई का प्रबंधन उचित तरीके से किया जा सके।
श्रीमती शर्ली थॉमस ने बताया कि कृषक उपलब्ध फसल अवशेषों को जलाये नहीं। अगर वे उनको वापस भूमि में मिला देते है तो भूमि में कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता, पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि के साथ मिट्टी के भौतिक गुणो में सुधार होता है। किसानों से उन्होंने अपील कि है कि खेतों में नरवाई बिल्कुल न जलायें एवं नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें।