मप्र में अब आयुष विधा से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए अच्छी खबर है। किसी भी स्टेज में फेल होने वाले आयुष स्टूडेंट्स को पास होने के लिए सात मौके दिए जाएंगे।
एनसीएसआईएम यानि नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन ने पांच महीने पहले ही यह आदेश जारी किए थे। लेकिन मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के अधिकारी इसे दबाए बैठे रहे। दो दिन पहले राज्य शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश यादव ने आयुष छात्रों के साथ मिलकर जबलपुर संभागायुक्त बी.चंद्रशेखर से मिलकर इस आदेश की जानकारी दी तो उन्होंने मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (एमपीएमएसयू) के एग्जाम कंट्रोलर पर नाराजगी जाहिर करते हुए तुरंत आदेश जारी करने को कहा।
इसके बाद शुक्रवार को एमपीएमएसयू ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। हालांकि अभी भी सिर्फ क्च्ररूस् छात्रों के लिए ही मेडिकल यूनिवर्सिटी ने आदेश जारी किया है। यूनानी और होम्योपैथी स्टूडेंट्स को लेकर अभी भी ऑर्डर नहीं निकला है।
केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की संस्था एनसीएसआईएम (नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन) ने बीते 15 दिसंबर 2021 को आदेश जारी किया था। इस आदेश के मुताबिक आयुर्वेद के बीएएमएस, यूनानी के बीयूएमएस, सिद्धा के बीएसएमएस स्नातक जो छात्र डिग्री के दौरान तीन-चार बार प्रयास करने, यहां तक कि मर्सी अटेम्प्ट के बाद भी पास नहीं होते हैं, अब ऐसे छात्रों को परीक्षा में बैठने के तीन मौके और दिए जाएंगे, ताकि उन्हें पढ़ाई और कॉलेज बीच में न छोडऩा पड़े।
कोरोना संकट के चलते मिली छूट
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि एनसीएसआईएम ने यह छूट कोरोना संकट को देखते हुए दी गई है। उन्होंने बताया कि अब मर्सी अटेम्प्ट के 4 मौकों के साथ 3 अतिरिक्त अवसरों को मिलाकर कुल 7 बार आयुष (4) छात्र आयुर्वेद, यूनानी और सिद्धा स्नातक की परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
अभी गवर्नर की मंजूरी के बाद मिलता है मौका
राज्यपाल की मंजूरी के बाद मिलता है परीक्षा का एक मौका परीक्षा पास न कर पाने वाले आयुष छात्रों को अब तक मर्सी अटेण्ट सहित राज्यपाल की विशेष अनुमति पर परीक्षा के केवल चार मौके ही मिलते थे। अब सात बार परीक्षा देकर पास होने का मौका मिलेगा।
प्रायवेट कॉलेजों की मनमानी पर लगेगी रोक
प्रदेश के प्रायवेट आयुष कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे छात्रों को फेल होने के बाद बड़ा नुकसान होता है। प्रायवेट कॉलेजों के छात्रों से थर्ड ईयर में ही पांच साल की पूरी फीस के तौर पर नौ-दस लाख रूपए जमा करा ली जाती है। इस आदेश के बाद फेल हुए छात्रों को पास होने का मौका मिलेगा।