ग्राम पंचायतों में फर्जी बिलों का खेल : मिठाई दुकानों से मोबाइल रिचार्ज तक की खरीद, अधिकारी मौन

अरविंद सिंह लोधी
By
Arvind Singh Lodhi
Damoh madhya Pradesh
3 Min Read

अरविंद सिंह लोधी दमोह

दमोह। जिले की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। विकास कार्यों के लिए आने वाले फंड का उपयोग जनहित में करने के बजाय सरपंच-सचिवों द्वारा निजी लाभ के लिए किया जा रहा है। पंचायत खातों से फर्जी बिल लगाकर मनमानी खरीदारी की जा रही है। ताजा मामला जनपद पंचायत दमोह की ग्राम पंचायत कनिया घाट पटी से सामने आया है, जिसने पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्राम पंचायत में बिना जीएसटी नंबर वाले बिलों को पास कर भुगतान किया गया है। यहाँ तक कि पंचायत खाते से मोबाइल शॉप पर खरीदारी और मिठाई दुकानों से पेन, कॉपियां व मोबाइल रिचार्ज जैसी वस्तुएँ खरीदी हुई दर्शाई गई हैं। यह पूरा खेल पंचायत में व्याप्त गंभीर वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करता है।

फर्जीवाड़े की परतें
• पंचायत के फंड से मोबाइल शॉप पर महंगी खरीदारी।
• मिठाई दुकान से पेन-कॉपी और मोबाइल रिचार्ज की बिलिंग।
• 300 रुपये का मासिक मोबाइल रिचार्ज 1000 रुपये में दर्शाया गया।
• बिना जीएसटी नंबर वाले फर्जी बिल पास कर लाखों का गबन।
• विकास कार्यों का नामोनिशान नहीं, योजनाएँ सिर्फ कागजों में पूरी।

सरपंच प्रतिनिधि की सफाई – आधा सच, आधा बचाव

ग्राम पंचायत कनिया घाट पटी के सरपंच प्रतिनिधि जमना प्रसाद ने सफाई में कहा कि – “सरकार से आदेश है कि सहायक सचिव को मोबाइल दिया जाए, इसलिए मोबाइल खरीदा गया। मिठाई 15 अगस्त के कार्यक्रम पर खरीदी गई थी।” हालांकि अन्य फर्जी बिलों और रिचार्ज संबंधी गड़बड़ियों पर उन्होंने गोलमोल जवाब देकर चुप्पी साध ली।

अधिकारियों की चुप्पी संदिग्ध
जब इस फर्जीवाड़े पर जनपद पंचायत दमोह के सीईओ हलधर मिश्रा से संपर्क साधने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव करना तक उचित नहीं समझा। जिम्मेदार अधिकारियों की यह चुप्पी कहीं न कहीं उनकी मिलीभगत या लापरवाही की ओर इशारा करती है।

जनता की मांग – सख्त जांच और कार्रवाई
ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की गंभीर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि केवल कनिया घाट पटी ही नहीं, बल्कि पूरे जिले की ग्राम पंचायतों का विशेष ऑडिट कराया जाए। साथ ही फर्जी बिलों के जरिए पैसा हड़पने वाले सरपंच, सचिव और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि यदि समय रहते इस भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो पंचायतें जनसेवा की बजाय भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह जाएँगी।

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