कोरोना पर ‘सरकार को फटकार ‘ हाईकोर्ट ने दिए महत्वपूर्ण निर्देश, देखें

sadbhawnapaati
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मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों के इलाज में हो रही लापरवाही पर मप्र हाइकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को 49 पेज के विस्तृत आदेश देकर 19 बिंदुओं की गाइडलाइन जारी की है। आदेश में हाईकोर्ट ने कहा- हम मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते। कोरोना के गंभीर मरीजों को सरकार एक घंटे में अस्पताल में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए। केंद्र सरकार रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाए। अगर जरूरत पड़े, तो आयात करे।

मप्र हाईकोर्ट ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के पत्र याचिका समेत कोरोना को लेकर दायर अन्य 6 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को चीफ जस्टिस जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने 49 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया।

 

हाईकोर्ट के फैसले में अहम बिंदु

  • कोरोना की स्थिति भयावह, हम मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते।
  • स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति करें।
  • 2-3 साल में रिटायर मेडिकल स्टाफ को सेवा में फिर से लिया जाए।
  • अगली सुनवाई से पहले सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करे।
  • हाईकोर्ट ने 49 पन्नों का आदेश दिया। 10 मई को अगली सुनवाई।
  • प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाएं।
  • जरूरतमंद मरीज को एक घंटे में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराएं।
  • रेमडेसिविर की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए।
  • मरीज को 36 घंटे में RTPCR रिपोर्ट दी जाए।

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  • प्रदेश में कोरोना की जांच बढ़ाई जाए।
  • निजी अस्पतालों में भी रेमडेसिविर इंजेक्शन व ऑक्सीजन की उपलब्धता कलेक्टर व सीएमएचओ सुनिश्चित कराएं।
  • केन्द्र सरकार को दखल देने का आदेश दिया है।
  • केन्द्र सरकार से कहा है, वह उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीज़न अस्पतालों में पहुंचाए।
  • देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़वाने का प्रयास करे। सरकार विदेशों से रेमडेसिविर का आयात भी करवाए।
  • सरकारी और निजी अस्पताल में एयर सेपरेशन यूनिट लगाए जाएं।
  • निजी अस्पतालों में यूनिट के लिए सॉफ्ट लोन दिए जाएं।
  • प्रदेश में 9 अक्टूबर 2020 की स्थिति में प्रारंभ किए गए 262 हॉस्पिटल के कोविड-19 सेंटर, 62 डेडिकेटेड कोविड-19 केयर सेंटर और 16 डेडिकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल को फिर से शुरू करें।
  • निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली ना कर पाएं। इसके लिए सरकार इलाज की दर फिक्स करे।
  • स्कूल, कॉलेजों, मैरिज हॉल, होटल, स्टेडियम को अस्थाई अस्पतालों के लिए अधिग्रहीत किया जाए।
  • अस्पताल किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित मरीजों को भर्ती करने से इंकार ना करें।
  • मध्यम वर्ग, निम्न मध्यमवर्ग, गरीब और बीपीएल श्रेणी के लोगों के लिए भी ऑक्सीजन, रेमडीसिविर और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
  • कलेक्टर और सीएमएचओ निजी, सरकारी अस्पतालों, पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रतिनिधियों से समय-समय पर मीटिंग करते रहें, जिससे अन्य आवश्यकताओं की भी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
  • शासन स्तर पर आईएमए और मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बैठक सुनिश्चित करें कि मरीजों से अत्यधिक शुल्क न वसूला जाए।

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के पत्र समेत 6 याचिकाओं पर हुई थी सुनवाई
राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने पत्र के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज में हो रही अव्यवस्था, निजी अस्पतालों में मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूली, ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत समेत कई बिंदुओं पर बात रखी थी। वहीं, सृजन एक आशा संस्था ने इसी मामले में जनहित याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान खुद सांसद विवेक तन्खा और वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा। वहीं, शासन की ओर से शासकीय महाधिवक्ता सुनवाई में शामिल हुए थे।

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