हुकुमचंद मिल का प्राकृतिक जंगल बचाना क्यों ज़रूरी है?

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Hukumchand Mill News। तेज़ी से बढ़ता व्यावसायिक शहर है एक बेहतर व्यावसायिक शहर के लिए जितना व्यावसायिक सुविधाओं की आवश्यकता है उतना ही प्राकृतिक हरियाली का होना भी महत्वपूर्ण है प्राकृतिक हरियाली ही किसी भी शहर को रखने योग्य बनाती है. तेज़ी से बढ़ते इन्दौर शहर की हरियाली की स्थिति को देखें तो कई सवाल दिन प्रतिदिन और हरियाली कम होती जा रही है पेड़ों की अवैध कटाई बढ़ती जा रही है एवं लोगों की पेड़ों के प्रति संवेदनशीलता भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है यह एक चिंता का विषय एवं हमें इंदौर के पर्यावरण की स्थिति में सुधार करना आवश्यक प्रतीत होता है। जिसके परिणामस्वरूप शहर में सतही और भूजल की स्थिति चिंताजनक होते जा रही है एवं वायु गुणवत्ता भी ख़राब होती जा रही है।

विभिन्न अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि वर्तमान में शहरी क्षेत्र में हरियाली मुश्किल से 9-10 प्रतिशत हो गई है एवं वर्ष 2023 में शहर का ग्रीन सिटी इंडेक्स भी 9 हो गया था। यह सर्वविदित है कि पेड़ दीर्घजीवी होने से पर्यावरण संरक्षण एवं संतुलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्मार्ट सिटी द्वारा कुछ वर्ष पूर्व 26 वार्ड में गणना कर 05 लाख पेड़ बताए थे। इसके आधार पर शहर में अनुमानित 10 लाख पेड़ हैं। आईआईटी, इंदौर के अध्ययन में भी पेड़ों की संख्या 9 से 10 लाख आँकी गई गई है, जिसमें लगभग 2 लाख पुराने पूर्ण विकसित पेड़ हैं। शहरी आबादी (लगभग 36 लाख से ज्यादा) एवं पंजीकृत वाहन संख्या (लगभग 34 लाख) की तुलना में पेड़ों की संख्या बहुत कम है।

आईआईटी, इंदौर के एक अन्य आँकलन के अनुसार :-

पिछले 5 वर्षों में विभिन्न विकास योजनाओं हेतु लगभगडेढ़ लाख पेड़ काटे गए। पेड़ कटाई के साथ शहर में पेड़ गिरने की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इसी वर्ष 4, 5 और 6 मई को आंधी तूफान में 250 पेड़ गिरे एवं 50 पेड़ बड़ी शाखाएं टूटने से क्षतिग्रस्त हुए। शहर के बगीचे और ग्रीन बेल्ट की स्थिति भी खराब है, और कई जगह अतिक्रमण है। इसे देखते हुए, शहर के पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण असंतुलन के कारण मौसम भी प्रभावित हुआ है। शहर का औसत तापमान लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, और अप्रैल-मई में लू (हीट वेव) के दिनों की संख्या बढ़ी है। वर्षा दिवस घटे हैं, लेकिन वर्षा की तीव्रता (कम समय में अधिक वर्षा) बढ़ी है।

शनिवार दिनांक 23 अगस्त की रात को इंदौर शहर के प्राकृतिक जंगल, जो कि हुकुमचंद मिल परिसर में स्थित है, में तीन बड़े-बड़े पेड़ों को JCB मशीन की सहायता से उखाड़ा गया। यह तीनों पेड़ परिसर के पेड़ों की गई गणना में भी सम्मिलित है एवं इन पर नंबर भी अंकित किए गए थे। इन पेड़ों का नंबर है 2, 28 एवं 32। जिस क्रूरता एवं हताशा में इंदौर शहर की प्राणवायु इन जंगलों को धीरे-धीरे नष्ट किया जा रहा है वह हमारे प्रशासन एवं शासन कि पर्यावरण एवं जनता के प्रति ग़ैरज़िम्मेदारना व्यवहार को भी दर्शाता है। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि प्रशासन किसी भी हद तक जाकर अपने ग़लत निर्णय को क्रियान्वित करना चाह रहा है।

सत्ता एवं बल का उपयोग कर शासन-प्रशासन यह भूल रहा है कि उनकी यह हठधर्मिता इंदौर की जनता के भविष्य में स्वस्थ्य जीवन के प्रति अत्यंत ग़ैर ज़िम्मेदार एवं ख़तरनाक साबित होगी। इंदौर का यह प्राकृतिक जंगल इंदौर शहर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है एवं यह शहर को ज़िंदा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते आ रहा है।

वर्तमान समय में भौतिक विकास हेतु अव्यावहारिक एवं अदूरदर्शी निर्णयों के चलते इंदौर में अनेकों स्थानों पर लाखों की संख्या में पेड़ों की बली पहले ही दी जा चुकी है एवं जिसके परिणाम आना प्रारम्भ हो गए हैं। अतः हमारा शासन से अनुरोध है कि इन्दौर शहर की समस्त जनता एवं आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस पर प्राथमिकता के आधार पर रोक लगायी जाए।
देश के नीति आयोग की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वर्ष 2030 तक इंदौर सहित देश के 30 शहरों में गंभीर जल संकट होगा। आईआईटी, इंदौर द्वारा किए गए अध्ययन में इंदौर को जल संकट के मामले में 19वें स्थान पर रखा गया है।

इंदौर के हुकुमचंद मिल में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई 

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में भूजल दोहन क्रिटिकल श्रेणी में है, जो 90% से अधिक है। वर्ष 2013 तक गर्मी के मौसम में भूजल स्तर केवल तीन माह के लिए नीचे रहता था, लेकिन अब यह अवधि चार माह से अधिक तक पाई जाती है। कान्ह और सरस्वती नदियाँ कई प्रयासों के बावजूद प्रदूषण से मुक्त नहीं हो सकी हैं। नर्मदा से प्रदाय होने वाले पेयजल की गुणवत्ता भी कई क्षेत्रों में संदिग्ध पाई गई है। शहरी सीमा में चिन्हित 26 तालाबों में से 18 तालाबों की सीमांकन रिपोर्ट में अवैध कब्जे पाए गए हैं। वर्ष 2023 में प्रकाशित एक जानकारी के अनुसार, शहरी क्षेत्र में 550 कुएं और बावड़ियों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।

वायु गुणवत्ता के मामले में भी शहर की स्थिति चिंताजनक है, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय क्लीन एयर केटेलिस्ट कार्यक्रम में इंदौर का चयन होने के बावजूद वायु गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में पीएम10 की मात्रा वर्ष 2025-26 तक 55 माइक्रोग्राम/घनमीटर तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अभी तक यह लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है। वायु प्रदूषण के नए हॉटस्पॉट शहर के कुछ खाने-पीने के स्थानों और ट्रैफिक जाम वाले क्षेत्रों में विकसित हो रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, और अस्थमा व श्वसन रोग बढ़ रहे हैं।

Indore Hukumchand Mill News

विदित हो कि 1 पौधे को पूर्ण विकसित वृक्ष बनने में 30 साल का समय लगता है एवं वर्तमान में लगाए गए पौधे लगभग 10 वर्षों के बाद ही आंशिक लाभ देना प्रारंभ करेंगे। ऐसी परिस्थितियों में जो स्थानीय लोगों का स्वस्थ्य जीवन जीने का अधिकार है उसका भी हनन हो रहा है। अतः आपसे पुनः अनुरोध है कि इस विषय पर तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित के ख़िलाफ़ तत्काल कठोर से कठोर एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाय एवं इंदौर शहर के एकमात्र प्राकृतिक जंगल को इस शहर के लोगों के बेहतर जीवन हेतु संरक्षित किया जाए एवं इसे बचाया जाए।

आज कार्यक्रम में उपस्थित हुवे सर्वश्री श्याम सुंदर यादव, डॉ. ओ पी जोशी, डॉ. शंकर लाल गर्ग, शिवाजी मोहिते, संदीप खानवलकर, अजय लागू, अरविंद पोरवाल, अशोक गोलाने, अभय जैन, हरीश मेनारिया, प्रकाश सोनी, राजेन्द्र सिंह, मुकेश वर्मा, डॉ. राजेंद्र बाफना, गुरमीतसिंह छाबड़ा, चन्द्र शेखर गवली, राहुल सिंह, तरुण द्विवेदी, मनोज दीक्षित, प्रमोद नामदेव, लक्ष्मण सिंह चौहान, प्रणीता दीक्षित आदि।

इंदौर शहर के समस्त पर्यावरण प्रेमी नागरिक
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