मप्र हाईकोर्ट का अहम फैसला: विवाहित बेटी को है अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार, एकलपीठ के फैसले खिलाफ की गई थी अपील

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जबलपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ द्वारा पारित अहम फैसले में कहा है कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार है। युगलपीठ दायर अपील की सुनवाई के बाद एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया है।

 

शहडोल निवासी दीपिका सिंह की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसे पिता एसईसीएल में सीनियर मैकेनिक के रूप में पदस्थ थे। सेवाकाल के दौरान 19 जुलाई 2020 को उनकी मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद मां ने बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। आवेदन के जवाब में अनुकंपा नियुक्ति के स्थान पर नगद मुआवजा लेने की बात कही गई थी।

 

इसके बाद मां ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए पुनः पत्राचार करते हुए बताया था कि बेटी विवाहित है। बेटी के विवाहित होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मृतक कर्मचारी की पत्नी को प्रतिमाह आर्थिक राशि दिए जाने के निर्णय को सही ठहराया था। एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता काशी राम पटैल व सुबोध अग्रवाल ने पैरवी की।

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