इन्दौर। मध्य प्रदेश सतत् विकास मंच द्वारा सिमरोल स्थित हनुमान वाटिका में किसान चौपाल में परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें शामिल करीब 80 हरिजन एवं पिछड़े वर्ग के कृषकों ने पशु-पक्षी वन्य जीवों, अनेक कुओं एवं नलकूपों के जीवन रक्षक तालाब ‘‘गौरीकुण्ड‘‘ के पुनरुत्थान के लिए नर्मदा क्षिप्रा लिंक योजाना से पानी छोडने की पुरजोर माँग की है।
ग्राम पंचायत सिमरोल के सरपंच दिनेश सलवाड़ीया की उपस्थिति और म.प्र. सतत विकास मंच के अध्यक्ष जगदीश उजिवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस चौपाल चर्चा में कृषकों ने पूरे जोश से तालाब जल भरण का मुद्दा उठाते हुए अपने अपने विचार रखे। चौपाल की शुरूआत करते हुवे मध्यांचल फोरम के सचिव मनोहरलाल यादव ने कहा कि करीब 25 साल पुर्व स्व. गोरिलाल यादव की स्मृति मे पूर्ण जन सहयोग निर्मित इस गौरीकुण्ड के जल भराव क्षेत्र में ऊपर की तरफ भी दो तालाब और खोदे गये थे, जिसमें से एक तो इस तालाब के फीडर का काम करता था, लेकिन वे दोनों तालाब आई.आई.टी. में आ गये है।
ग्राम पंचायत सिमरोल के सरपंच दिनेश सलवाड़ीया की उपस्थिति और म.प्र. सतत विकास मंच के अध्यक्ष जगदीश उजिवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस चौपाल चर्चा में कृषकों ने पूरे जोश से तालाब जल भरण का मुद्दा उठाते हुए अपने अपने विचार रखे। चौपाल की शुरूआत करते हुवे मध्यांचल फोरम के सचिव मनोहरलाल यादव ने कहा कि करीब 25 साल पुर्व स्व. गोरिलाल यादव की स्मृति मे पूर्ण जन सहयोग निर्मित इस गौरीकुण्ड के जल भराव क्षेत्र में ऊपर की तरफ भी दो तालाब और खोदे गये थे, जिसमें से एक तो इस तालाब के फीडर का काम करता था, लेकिन वे दोनों तालाब आई.आई.टी. में आ गये है।
गौरीकुंड का अधिकांश जल भराओ क्षेत्र आई.आई.टी. में आ जाने से उसकी बाउंड्री बनने के बाद तालाब मे पानी की आवक बहुत घटी गई है। किसान, पशु-पक्षी और वन्य जीवों के हित में नर्मदा क्षिप्रा लिंक से पानी इस तालाब मे छोड़ना ही एक मात्र विकल्प है।
सिमरोल की श्रीमति भागवंतीबाई मंडलोई ने कहा कि गौरीकुण्ड से सटे 3-4 गॉंव टोले के सैकड़ों गाय, पशु, बकरा-बकरी दिन भर इस तालाब पर पानी के लिए आते है, वहीं तालाब और उसके आसपास के जंगल और खेतो मे शाम के समय सेकड़ों मोर, हिरन अलग-अलग प्रकार के पक्षी, कई बार जंगली सुअर और तेंदुए भी देखे जा सकते है। अब तालाब सूखने के कगार पर है, जिसे बचाया जाना चाहिये।
सिमरोल की श्रीमति भागवंतीबाई मंडलोई ने कहा कि गौरीकुण्ड से सटे 3-4 गॉंव टोले के सैकड़ों गाय, पशु, बकरा-बकरी दिन भर इस तालाब पर पानी के लिए आते है, वहीं तालाब और उसके आसपास के जंगल और खेतो मे शाम के समय सेकड़ों मोर, हिरन अलग-अलग प्रकार के पक्षी, कई बार जंगली सुअर और तेंदुए भी देखे जा सकते है। अब तालाब सूखने के कगार पर है, जिसे बचाया जाना चाहिये।
जगजीवन ग्राम के शंकरलाल मालवीय ने बताया कि पिछले 2 दशकों से इस गौरीकुण्ड तालाब का रख रखाव और गहरीकरण यहाँ के ग्रामीण पूर्ण जन सहयोग से करते रहे है, लेकिन पिछले कुछ सालों से तालाब मे पानी लगातार कम होता जा रहा है, इस कारण कुएं व नलकूप जल्दी सूखने लगे है और खेती मुश्किल हो गई है। सर्वहित में नर्मदा क्षिप्रा लिंक से पानी तालाब में छोड़ना चाहिये।
इन्दिरा आवास के योगेश अहिरवार ने पिछले 25 वर्षों में गौरीकुण्ड तालाब के कारण क्षेत्र की खेती मे आये क्रन्तिकारी बदलाओ का जिक्र करते हुए भविष्य के प्रति आशंका व्यक्त की तथा नर्मदा शिप्रा लिंक से तालाब भरने की माँग की। अनेको ग्रामीणों द्वारा अपने अपने पक्ष रखने के बाद शासन से सर्वसम्मत माँग की गई की जगजीवन ग्राम स्थित गौरीकुण्ड तालाब मे नर्मदा क्षिप्र लिंक से अविलम्ब पानी छोड़ा जावे।
ग्रामीणों की ओर से म.प्र. सतत विकास मंच के अध्यक्ष जगदीश उजिवाल ने ग्राम पंचायत के माध्यम से शासन को अग्रेसित करने के लिए एक ज्ञापन सरपंच दिनेश सलवाडिया को सौंपा। सलवदीया ने ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए हर स्तर पर सहयोग का विश्वास दिलाया।
चैपाल चर्चा के प्रारंभ मे मध्यांचल फोरम की समन्वयक रुचिसिंह सोलंकी ने फोरम की जानकारी दी और प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। जबकि मध्यांचल फोरम के रोहित बलोदिया ने प्रभावी संचालन करते हुए इस मुद्दें पर अभी तक की गई कार्यवाहियों की जानकारी दी ।
चैपाल चर्चा के प्रारंभ मे मध्यांचल फोरम की समन्वयक रुचिसिंह सोलंकी ने फोरम की जानकारी दी और प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। जबकि मध्यांचल फोरम के रोहित बलोदिया ने प्रभावी संचालन करते हुए इस मुद्दें पर अभी तक की गई कार्यवाहियों की जानकारी दी ।