इन्दौर। कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा वृद्धजनों और निराश्रितों को न्याय दिलाने की पहल के तहत आज एक 77 वर्षीय विधवा महिला को न्याय मिला। 22 साल से उनका परिवार यह न्याय की लड़ाई लड़ रहा था।
22 वर्षों पहले उक्त वृद्ध महिला के पति ने भाड़ा नियंत्रक अधिकारी के यहां न्याय पाने के लिए गुहार लगाई थी। इस दौरान उनका निधन हो गया।
लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। 52 आड़ा बाजार में रहने वाले प्रभाकर महाडिक ने अपना परिवार चलाने के लिए अपने मकान के अगले भाग में स्थित 77 वर्ग फीट की एक दुकान 30 वर्ष पहले पुरुषोत्तम पुराणिक नामक व्यक्ति को किराए से दी थी।
उक्त व्यक्ति ना तो किराया दे रहा था और ना ही दुकान खाली कर रहा था। प्रभाकर ने इसके विरुद्ध पहले भाड़ा नियंत्रक अधिकारी की कोर्ट में अपील की थी। लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। उनके निधन के बाद उनकी विधवा पत्नी 77 वर्षीय श्रीमती सुनयना महाडिक कई वर्षों से न्याय के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा रही थीं। पिछले दिनों उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई।
उन्होंने बताया कि किराएदार पुरुषोत्तम अक्सर उनके साथ अभद्र व्यवहार भी करता है। कलेक्टर सिंह की पहल पर आज उक्त विधवा महिला को न्याय मिला। 15 दिन पूर्व क्षेत्रीय एसडीएम मुनीष सिकरवार द्वारा उक्त दुकान खाली करने का आदेश पारित किया गया था।
लेकिन पुरुषोत्तम ने इस आदेश पर भी अमल नहीं किया। आज सुबह जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए उक्त दुकान को खाली कराकर कब्जा श्रीमती सुनयना महाडिक को सौंप दिया।
श्रीमती महाडिक ने कहा कि मेरी एक पुत्री के अलावा मेरा कोई नहीं है। हम दोनों दिन-दिन भर न्याय के लिए कलेक्टर कार्यालय में बैठे रहते थे। उन्होंने कहा कि कलेक्टर सिंह वृद्धों और बेसहारा लोगों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं। उनका जितना भी धन्यवाद दिया जाए कम है।